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भ्रमरगीत-सार/२१५-ऊधो वै सुख अबै कहाँ
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भ्रमरगीत-सार
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२१४-ऊधोजू जोग तबहिं हम जान्यो
भ्रमरगीत-सार
रामचंद्र शुक्ल
२१६-कहि ऊधो हरि गए तजि मथुरा कौन बड़ाई पाई
→
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १६३
133976
भ्रमरगीत-सार
रामचंद्र शुक्ल
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