कोउ माई बरजै या चंदहि।
करत है कोप बहुत हम्ह ऊपर, कुमुदिनि करत अनंदहि॥
कहाँ कुहू, कहँ रवि अरु तमचुर, कहाँ बलाहक[१] कारे[२]?
चलत न चपल, रहत रथ थकि करि, बिरहिनि के तन जारे॥
निंदति सैल, उदधि, पन्नग को, सापति कमठ कठोरहिं[३]।
देति असीस जरा[४] देवी को, राहु केतु किन जोरहि?