भ्रमरगीत-सार/२९३-कोउ माई बरजै या चंदहि
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ज्यों जलहीन मीन-तन तलफत त्योंहि तपत ब्रजबालहि।
सूरदास प्रभु बेगि मिलावहु मोहन मदन-गोपालहि॥२९३॥
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १९२ से – १९३ तक
ज्यों जलहीन मीन-तन तलफत त्योंहि तपत ब्रजबालहि।
सूरदास प्रभु बेगि मिलावहु मोहन मदन-गोपालहि॥२९३॥