भ्रमरगीत-सार/२९९-देखौ माई नयनन्ह सों घन हारे
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राग मलार
देखौ माई! नयनन्ह सों घन हारे।
बिन ही ऋतु बरसत निसिबासर सदा सजल दोउ तारे॥
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १९४ से – १९५ तक
राग मलार
देखौ माई! नयनन्ह सों घन हारे।
बिन ही ऋतु बरसत निसिबासर सदा सजल दोउ तारे॥