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भ्रमरगीत-सार/३०५-लोग सब देत सुहाई बातें

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बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १९७

 

राग सारंग

लोग सब देत सुहाई[] बातें।
कहतहि सुगम करत नहिं आबै, बोलि न आवत तातें॥
पहिले आगि सुनत चन्दन सी सती बहुत उमहै।
समाचार ताते अरु सीरे पाछे कौन कहै॥
कहत सबै संग्राम सुगम अति कुसुमलता करवार[]
सूरदास सिर दिए सूरमा पाछे कौन बिचार?॥३०५॥

  1. सुहाई=सुहावनी, प्रिय।
  2. करवार=तलवार।