बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १९७
राग सारंग
लोग सब देत सुहाई[१] बातें। कहतहि सुगम करत नहिं आबै, बोलि न आवत तातें॥ पहिले आगि सुनत चन्दन सी सती बहुत उमहै। समाचार ताते अरु सीरे पाछे कौन कहै॥ कहत सबै संग्राम सुगम अति कुसुमलता करवार[२]। सूरदास सिर दिए सूरमा पाछे कौन बिचार?॥३०५॥