भ्रमरगीत-सार/३२०-कहाँ रह्यो माई नंद को मोहन
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राग सारंग
कहाँ रह्यो, माई! नंद को मोहन।
वह मूरति जिय तें नहिं बिसरति गयो सकल-जग-सोहन॥
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ २०३ से – २०४ तक
राग सारंग
कहाँ रह्यो, माई! नंद को मोहन।
वह मूरति जिय तें नहिं बिसरति गयो सकल-जग-सोहन॥