भ्रमरगीत-सार/३७५-सँदेसो देवकी सों कहियो

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यशोदा का वचन उद्धव प्रति
राग सोरठ

सँदेसो देवकी सों कहियो॥
हौं तो धाय[१] तिहारे सुत की कृपा करत ही रहियो॥
उबटन तेल और तातो जल देखत ही भजि जाते।
जोइ जोइ माँगत सोइ सोइ देती करम करम करि न्हाते॥
तुम तौ टेव जानतिहि ह्वैहौ तऊ मोहिं कहि आवै।
प्रात उठत मेरे लाल लड़ैतेहि माखन-रोटी भावै॥
अब यह सूर मोहिं निसिबासर बड़ो रहत जिय सोच।
अब मेरे अलक-लड़ैते[२] लालन ह्वै हैं करत सँकोच॥३७५॥

  1. धाय=धात्री, दाई।
  2. अलकलड़ैते=दुलारे, लाड़ले।