भ्रमरगीत-सार/९-पथिक! सँदेसो कहियो जाय
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पथिक! सँदेसो कहियो जाय।
आवैंगे हम दोनों भैया, मैया जनि अकुलाय॥
याको बिलगु[१] बहुत हम मान्यो जो कहि पठयो धाय[२]।
कहँ लौं कीर्ति मानिए तुम्हरी बड़ो कियो पय प्याय॥
कहियो जाय नंदबाबा सों, अरु गहि पकर्यो पाय।
दोऊ दुखी होन नहिं पावहिं धूमरि धौरी[३] गाय॥
यद्यपि मथुरा बिभव बहुत है तुम बिनु कछु न सुहाय।
सूरदास ब्रजबासी लोगनि भेंटत हृदय जुड़ाय॥९॥