विकिस्रोत:आज का पाठ/१७ नवम्बर
हिंदी में गद्य-साहित्य-परंपरा का प्रारंभ रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।
"संवत् १८६० के लगभग हिंदी गद्य का प्रवर्तन तो हुआ पर उसके साहित्य की अखंड परंपरा उस समय से नहीं चली। इधर उधर दो चार पुस्तके अनगढ़ भाषा में लिखी गई हों तो लिखी गई हों पर साहित्य के योग्य स्वच्छ सुव्यवस्ति भाषा में लिखी कोई पुस्तक संवत् १९१५ के पूर्व की नही मिलती। संवत् १८८१ में किसी ने "गोरा बादल री बात" का, जिसे राजस्थानी पद्यो मे जटमल ने सवत् १६८० में लिखा था, खडी बोली के गद्य में अनुवाद किया।..."(पूरा पढ़ें)