विकिस्रोत:आज का पाठ/२१ सितम्बर

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वीसलदेवरासो रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया था।


"नरपति नाल्ह कवि विग्रहराज चतुर्थ उपनाम बीसलदेव का समकालीन था ! कदाचित् यह राजकवि था । इसने “वीसलदेवरासो' नामक एक छोटा सा ( १०० पृष्ठों का ) ग्रंथ लिखा है जो वीरगीती के रूप में है । ग्रंथ में निर्माण-काल यों दिया है-

बारह सै बहोत्तरॉ मझारि। जेठबदी नवमी बुधवारि।

‘नाल्ह' रसायण आरंभइ। सारदा तूठी ब्रह्मकुमारि।।

'बारह लै बहोत्तर' का स्पष्ट अर्थ १२१२ है। 'बहोत्तर' शब्द, ‘बरहोत्तर द्वादशोत्तर' का रूपांतर है। अतः ‘बारह सैःबहोसाँ' का अर्थ 'द्वादशोत्तर बारह से अर्थात् १२१२ होगा।..."(पूरा पढ़ें)