विकिस्रोत:आज का पाठ/२२ अप्रैल
आधुनिक काल (प्रकरण २) लाला भगवानदीन रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।
"स्वर्गीय लाला भगवानदीन जी के जीवन का प्रारंभिक काल उस बुदेलखंड में व्यतीत हुआ था जहाँ देश की परम्परागत पुरानी संस्कृति अभी बहुत कुछ बनी हुई है। उनकी रहन-सहन बहुत सादी और उनका हृदय बहुत सरल और कोमल था। उन्होंने हिंदी के पुराने काव्यों का नियमित रूप से अध्ययन किया था इससे वे ऐसे लोगों से कुढ़ते थे जो परंपरागत हिंदी-साहित्य की कुछ भी जानकारी प्राप्त किए बिना केवल थोड़ी सी, अँगरेजी शिक्षा के बल पर हिंदी-कविताएँ लिखने लग जाते थे।..."(पूरा पढ़ें)