विकिस्रोत:आज का पाठ/२६ मई
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न्याय प्रेमचंद द्वारा रचित मानसरोवर २ का एक अध्याय है जिसका प्रकाशन १९४६ ई॰ में सरस्वती प्रेस "बनारस" द्वारा किया गया था।
"हजरत मुहम्मद को इलहाम हुए थोड़े ही दिन हुए थे। दस-पांच पड़ोसियों तथा निकट-सम्बन्धियों के सिवा और कोई उनके दीन पर ईमान न लाया था, यहाँ तक कि उनकी लड़की ज़ैनब और दामाद अबुलआस भी, जिनका विवाह इलहाम से पहले ही हो चुका था, अभी तक दीक्षित न हुए थे। ज़ैनब कई बार अपने मैके गई थी और अपने पूज्य पिता की ज्ञानमय वाणी सुन चुकी थी।..."(पूरा पढ़ें)