विकिस्रोत:आज का पाठ/२ अप्रैल
नशा प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी-संग्रह मानसरोवर १ का एक अंश है जिसका प्रकाशन अप्रैल १९४७ में बनारस के सरस्वती प्रेस बनारस द्वारा किया गया था।
"ईश्वरी एक बड़े ज़मींदार का लड़का था और मैं एक गरीब क्लर्क का, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती रहती थी। मैं ज़मींदारों को बुराई करता, उन्हें हिंसक पशु और खून चूसने-वाली जोंक और वृक्षों की चोटी पर फूलनेवाला बझा कहता। यह ज़मीदारों का पक्ष लेता; पर स्वभावतः उसका पहलू कुछ कमज़ोर होता था, क्योंकि उसके पास ज़मींदारों के अनुकूल कोई दलील न थी। यह कहना कि सभी मनुष्य बराबर नहीं होते, छोटे-बड़े हमेशा होते रहते हैं और होते रहेंगे, लचर दलील थी।..."(पूरा पढ़ें)