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कहीं आपका मतलब सूबा साव तो नहीं था?
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- अकेला। सोरह सहस कुंवर भए चेला॥ और गने को संग सहाई?। महादेव मढ़ मेला जाई॥ सूरज पुरुष दरस के ताईं। चितवै चंद चकोर के नाई॥ तुम्ह बारी रस जोंग जेहि, कँवलहि...४३५ B (१,११३ शब्द) - २२:११, १७ मई २०२४
- पानी भरि धरे । सूरज दिपे अकास, मुहमद सब महें देखिए ॥ ४२ ॥ ना नारद तब रोइ पुकारा। एक जोलाहै सौं, मैं हारा। प्रेम में निति ताना तनई। जप तप सावि मैकरा भरई ॥...३६० B (१०,२०५ शब्द) - २२:३०, ७ जुलाई २०२४
- बार घास जम जाए तो उसे बाद की वर्षा में फिर इतना पानी, इतनी नमी चाहिए कि वह सूरज के प्रकाश के साथ इस नमी को जोड़कर घास को और ऊपर उठा सके। गोचर में क्या नहीं...६२० B (९,८३४ शब्द) - १६:४५, २० नवम्बर २०२०
- भवन उसारे। बिख विच खंड बिखंड सँवारे ॥ धरती ग्री गिरि मेरु पहरा। सरग चाँद सूरज ग्री तारा ॥ सहस अठारह दुनिया सिदै। आावत जात " ।। जतरा कर जेइ नहिं लीन्ह जनम...२०६ B (६,६६५ शब्द) - २२:३९, ७ जुलाई २०२४
- रहने की जमाना दी, जिससे वे लोग वाँसे चले गयँ । तवं पञ्चासेनने जातिमें उनका सुरजी बढ़ा दिपा भी यह माज्ञा ६ ॐ याई फोई दाह्मण इनको पढावे या इनके यहाँ कोई कर्म...३९५ B (४१,३६५ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३
- इड़ा और पिंगला दोनों चँवर डुला रही हैं और सुषुम्ना सेवा करती है | चांद और सूरज दो मशाल जल रहे हैं । सत्य और सुकृत दोनों गश्त लगाते हैं । सप्त सागर का मालिक...९६ B (७५,१२० शब्द) - २०:४६, १५ मई २०२४