खोज परिणाम

  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 50359सेवासदन1919प्रेमचंद [ ७० ] हो गई। जानवर लेकर उसे लौटा दोगे तो क्या बात रह जायगी? यदि डिगबी साहब फेर भी लें तो यह...
    २०० B (२,२२८ शब्द) - ०८:०९, २७ जुलाई २०२३
  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 49599सेवासदन1919प्रेमचंद [ १४ ] ४ कृष्णचन्द्र अपने कस्बे में सर्वप्रिय थे। यह खबर फैलते ही सारी बस्ती में हलचल मच गई।...
    २२४ B (४७८ शब्द) - ०८:१३, २७ जुलाई २०२३
  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 144182सेवासदन1919प्रेमचंद [ २७७ ]मुस्कानपर, मधुर बातोपर, कृपाकटाक्षपर अपना जीवनतक न्यौछावर करनेको तैयार था। पर सुमन आज...
    १५७ B (५,९१३ शब्द) - ०८:१५, २७ जुलाई २०२३
  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 50349सेवासदन1919प्रेमचंद [ ६० ] शर्माजी को ऐसा जान पड़ा मानो किसी ने लोहे की छड़ लाल करके उनके हृदय मे चुभा दी। माथे...
    २०० B (३,४४२ शब्द) - ०८:०९, २७ जुलाई २०२३
  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 144175सेवासदन1919प्रेमचंद [ २३७ ] मिली हो, लेकिन मैं शीघ्र ही किसी और नीयत से नहीं तो उनका प्रतिवाद कराने के ही लिए इस...
    २०६ B (५,५७६ शब्द) - ०८:१४, २७ जुलाई २०२३
  •  (1917)  द्वारा प्रेमचंद 79773सप्तसरोज1917प्रेमचंद [ २ ]सप्तसरोज लेखक–– सेवासदन, प्रेमपचीसी, शेखसादी, प्रेमाश्रम, संग्राम, प्रेमपूर्णिमा आदिके रचयिता "स्व०...
    ४४७ B (६६८ शब्द) - ०१:४४, ४ अगस्त २०२३
  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 144174सेवासदन1919प्रेमचंद [ २३२ ] की गयी थीं उन पर पद्मसिंह को विश्वास न था। वह अविश्वास इस प्रस्ताव की सारी जिम्मेदारी...
    २०६ B (७,०७५ शब्द) - ०८:१४, २७ जुलाई २०२३
  • सेवासदन  (1919)  द्वारा प्रेमचंद 144176सेवासदन1919प्रेमचंद [ २४२ ] कर दिया। उसे अपने माता-पिता पर, अपने चाचा पर, संसार पर और अपने आपपर क्रोध आता। अभी...
    २०६ B (७,१६९ शब्द) - ०८:१४, २७ जुलाई २०२३
  • अपने पारितोषिक-वितरणमें रखा है। सचित्र पुस्तकका मूल्य केवल ।) [ १९२ ]  ६-सेवासदन लेखक उपन्यास-सम्राट् श्रीयुक्त "प्रेमचन्द" हिन्दी-संसार का सबसे बड़ा गौरवशाली...
    २६७ B (५,९०४ शब्द) - ०४:०८, २० मार्च २०२१
  • दयानारायण निगम ने उन्हें 'प्रेमचन्द' नाम दिया। 1913-14 में उनका उपन्यास सेवासदन छपा। 1920 में प्रेमचन्द ने गाँधी जी के आह्वान पर सरकारी नौकरी से इस्तीफा...
    २२६ B (३,९३४ शब्द) - १७:४६, ११ अप्रैल २०२१
  • १६.०, ३६६ । . भाषा हनुमन्नाटक, सूरसारावली १६० १६१ - हुनुमान नखशिख ३८६ । सेवासदन ५४१ हनुमान नाटक (राम) २६२, सौदर्यलहरी ३७३। हनुमान पंचक ३८६ .. सदियांपासक...
    ३९६ B (३,२९१ शब्द) - १७:३५, २७ जुलाई २०२३