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  • प्रसिद्ध ग्रंथ है। इन्होंने 'जंजीराबंद' नाम का एक ग्रंथ भी बनाया था । उसमें ३२ कबित्त [ ३६४ ]है, उसे सभो कवि-जीवनी लेखकों ने बड़ा अद्भुत बतलाया है । वास्तव में...
    ६५६ B (२,५१९ शब्द) - ००:३२, २९ जुलाई २०२१
  • ने सबको रुला दिया जो उस ढब से बोल के रौंधे हुये जी को खोलती थी॥ [ २८ ] कबित्त। जब छाँड़ करील की कुंजन कों हरि द्वारकाजीवमां जाय बसे। कुलधूत के धाम बनाय...
    २२३ B (२,८२४ शब्द) - ०८:५६, १५ नवम्बर २०२०
  • जाती हैं । उद्धृत पद्यों में से पहले, दूसरे और तीसरे नम्वर पर लिखे गये कबित्तों में तो ब्रजभाषा की सभी विशेषतायें मूर्तिमन्त हो कर विराजमान हैं । हां....
    ७७२ B (४,५९३ शब्द) - १६:२०, १५ जुलाई २०२१
  • उक्त ग्रंथ की ५ टीकाएँ थीं - ( १ ) नवलकिशोरप्रेस की छपी हुई कृष्ण कवि की कबित्तों वाली टीका, (२) भारतजीवल प्रेस की छपी हुई हरि-प्रकाश टीका, (३) लल्लूलालजी-कृत...
    २७२ B (११,७२५ शब्द) - ०५:५५, ६ जुलाई २०२३