कहानी खत्म हो गई
खत्म
आचार्य चतुरसेन
मूल्य | : | चार रुपये |
प्रथम संस्करण | : | अप्रैल, १९६१ |
प्रकाशक | : | राजपाल एण्ड सन्ज़, दिल्ली |
मुद्रक | : | हिन्दी प्रिंटिंग प्रेस, दिल्ली |
आचार्य चतुरसेन का कहानी-साहित्य में जो विशिष्ट स्थान है उससे हिन्दी के पाठक भली भांति परिचित हैं। उन्होंने १९०६ से लिखना प्रारम्भ किया था और अन्त तक लिखते रहे। आधी सदी के दीर्घकाल में उन्होंने लगभग साढ़े चार सौ कहानियां लिखीं, जिनमें अधिकांश अपने कला-वैशिष्ट्य के लिए सुविख्यात हो गईं। शैली की दृष्टि से तो आपका नाम हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी लेखकों में आदर से लिया जाता है।
आचार्यजी की कहानियों के दो-तीन संग्रह बहुत पहले निकले थे, परन्तु उनका सारा कहानी-साहित्य एक जगह संकलित नहीं हो पाया था। यह एक बहुत बड़ा अभाव था, जिसकी पूर्ति के लिए आचार्यजी के ही जीवन-काल में उनके समग्र कहानी-साहित्य को पुस्तकमाला के रूप में प्रकाशित करने की एक रूपरेखा हमने बनाई थी। इतना ही नहीं, कहानियों का संकलन-सम्पादन भी उनकी देख-रेख में शुरू हो गया था और इस माला के लिए उन्होंने स्वयं 'कहानीकार का वक्तव्य' भी लिखा था (जो इस पुस्तकमाला के पहले खण्ड में दे दिया गया है), किन्तु दुर्भाग्यवश इस बीच उनका देहावसान हो गया।
सम्प्रति,हमारे सामने पहली आवश्यकता यह थी कि लेखक कासम्पूर्ण कहानीसाहित्य, प्रामाणिक रूप से, एक जगह उपलब्ध हो सके, जिससे हिन्दी कथा-साहित्य के पाठक आचार्यजी की कहानी-कला का रसास्वादन और यथेष्ट अध्ययन कर सकें। इसके लिए प्राचार्यजी के निर्देशों के अनुसार, उनके छोटे भाई श्री चन्द्रसेन जी ने अथक परिश्रम से इस महान लेखक की, पत्र-पत्रिकाओं व पाण्डुलिपियों में बिखरी हुई सामग्री को संकलित तथा सम्पादित किया है, जिसे हम क्रमशः पुस्तकमाला के रूप में प्रकाशित करने जा रहे हैं।
हरेक कहानी के ऊपर संक्षिप्त टिप्पणी दी गई है, आशा है इससे पाठकों को कहानी की पृष्ठभूमि जानने में सुविधा होगी।
आचार्यजी की कहानियों को साधारणतया इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-मुगल-कालीन, बौद्ध-कालीन, ऐतिहासिक, राजपूती, सामाजिक, समस्या-प्रधान, राजनीतिक, वीरता-प्रधान, भाव-प्रधान, प्रेम-प्रधान, कौतुकप्रधान और पारिवारिक।
हमारा विश्वास है कि यह पुस्तकमाला हिन्दी-साहित्य के एक प्रभाव का पूरक होगी एवं विद्वानों, कथा-साहित्य के विद्यार्थियों तथा रस के इच्छुक पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी। क्रम
कहानी खत्म हो गई ७
ककड़ी की कीमत २६
बड़नककी ३२
प्रतिशोध ५०
वेश्या ६४
खूनी ७८
भाई की विदाई ८३
अभाव ९८
क्रांतिकारिणी १०६
कलंगा दुर्ग ११५
ग्यारहवीं मई १२१
राजधर्म १३३
मृत्यु-चुंबन १३९
वासवदत्ता १४९
डाक्टर साहब की घड़ी १५५
कलकत्ते में एक रात १६२
प्यार १७१
मेहतर की बेटी का भात १८९
सिंहगढ़-विजय १९२
शेरा भील २१२
मास्टर साहब २१६
सुलह २३६
रानी रासमणि २४१
आंके-बांके राजपूत २५४
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