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यह निर्गुन, निर्मूल गाठरी अब किन करहु खरी॥ नफा जानिकै ह्याँ लै आए सबै बस्तु अकरी[१]। यह सौदा तुम ह्वाँ लै बेंचौ जहाँ बड़ी नगरी॥
हम ग्वालिन, गोरस दधि बेंचौ, लेहिं अबै सबरी। सूर यहाँ कोउ गाहक नाहीं देखियत गरे परी॥१११॥