भ्रमरगीत-सार/१२८-ऐसी बात कहौ जनि ऊधो

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राग नटनारायण
ऐसी बात कहौ जनि ऊधो!

ज्यों त्रिदोष उपजे जक लागति, निकसत बचन न सूधो॥
आपन तौ उपचार करौ कछु तब औरन सिख देहु।
मेरे कहे बनाय न राखौ थिर कै कतहूँ गेहु॥

[ १३६ ]

जौ तुम पद्मपराग छांड़िकै करहु ग्राम-बसबास[१]
तौ हम सूर यहौ करि देखैं निमिष छांड़हीं पास॥१२८॥

  1. बसबास=निवास।