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भ्रमरगीत-सार/१९२-ऊधो यह हरि कहा कर्‌यौ

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बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १५६

 

राग सोरठ
ऊधो! यह हरि कहा कर्‌यौ?

राजकाज चित दियो साँवरे, गोकुल क्यों बिसर्‌यौ?
जौ लौं घोष रहे तौ लों हम सँतत सेवा कीनी।
बारक कबहुँ उलूखल परसे, सोई मानि जिय लीनी॥