भ्रमरगीत-सार/२०६-ऊधो तुम आए किहि काज
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ऊधो! तुम आए किहि काज?
साँची बात छाँड़ि अब झूठी कहौ कौन बिधि सुनि हैं?
सूरदास मुक्ताफलभोगी हंस बह्नि[३] क्यों चुनिहैं?॥२०६॥
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १५९ से – १६० तक
साँची बात छाँड़ि अब झूठी कहौ कौन बिधि सुनि हैं?
सूरदास मुक्ताफलभोगी हंस बह्नि[३] क्यों चुनिहैं?॥२०६॥