भ्रमरगीत-सार/३५६-ऊधो! भूलि भले भटके

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ऊधो! भूलि भले भटके।
कहत कही कछु बात लड़ैते तुम ताही अटके॥
देख्यो सकल सयान[१] तिहारो, लीन्हे छरि फटके[२]
तुमहिं दियो बहराय इतै कों, वै कुबजा सों अटके॥
लीजो जोग सँभारि आपनो जाहु तहाँ टटके।
सूर, स्याम तजि कोउ न लैहे या जोगहि कटुके[३]॥३५६॥

  1. सयान=सयानापन, चतुराई।
  2. छरि फटके=झाड़ फटककर, खूब जाँचकर।
  3. कटुके=कटु जोग को।