भ्रमरगीत-सार/३५-अटपटि बात तिहारी ऊधो सुनै सो ऐसी को है
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अटपटि बात तिहारी ऊधो सुनै सो ऐसी को है?
हम अहीरि अबला सठ, मधुकर! तिन्हैं जोग कैसे सोहै?
बूचिहि[१] खुभी[२] आँधरी काजर, नकटी पहिरै बेसरि[३]।
मुँडली पाटी पारन चाहै, कोढ़ी अंगहि केसरि॥
बहिरी सों पति मतो[४] करै सो उतर कौन पै पावै?
ऐसो न्याव है ताको ऊधो जो हमैं जोग सिखावै॥
जो तुम हमको लाए कृपा करि सिर चढ़ाय हम लीन्ह।
सूरदास नरियर जो बिष को करहिं बंदना कीन्ह॥३५॥