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दुसह बचन अलि यों लागत उर ज्यों जारे पर लौन॥ सिंगी, भस्म, त्वचामृग, मुद्रा, अरु अवरोधन पौन। हम अबला अहीर, सठ मधुकर! घर बन जानै कौन॥
यह मत लै तिनहीं उपदेसौ जिन्हैं आजु सब सोहत। सूर आज लौं सुनी न देखी पोत[१] सूतरी पोहत॥५३॥