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भ्रमरगीत-सार/५४-प्रेमरहित यह जोग कौन क़ाज गायो

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बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १०९

 

राग जैतश्री

प्रेमरहित यह जोग कौन क़ाज गायो?
दीनन सों निठुर बचन कहे कहा पायो?
नयनन निज कमलनयन सुन्दर मुख हेरो।
मूँदन ते नयन क़हत कौन ज्ञान तेरो?
तामें कहु मधुकर! हम कहा लैन जाहीं।
जामें प्रिय प्राननाथ नँदनन्दन नाहीं?
जिनके तुम सखा साधु बातें कहु तिनकी।
जीवैं सुनि स्यामकथा दासी हम जिनकी॥
निरगुन अबिनासी गुन आनि आनि भाखौ।
सूरदास जिय के जिय कहाँ कान्ह राखौ? ॥५४॥