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  • मोहनदास करमचंद गाँधी 176224सर्वोदयमोहनदास करमचंद गाँधी [ प्रकाशक ]  प्रकाशक— मार्तण्ड उपाध्याय, मन्त्री, सस्ता साहित्य मण्डल, दिल्ली   संस्करण मई,⁠१९३० : ५०००...
    ३९० B (८४० शब्द) - १४:२४, ७ अक्टूबर २०२३
  • की तिकठियों के सहारे सुमनों की वेलें चढ़ाई गई थीं, इस कारण वहाँ प्रचण्ड मार्तण्ड की प्रखर किरणें प्रवेश नहीं कर सकती थीं, रोजबिला उसी ओर चल निकली परन्तु...
    ५०३ B (२,६२७ शब्द) - ०९:४८, २४ नवम्बर २०२१
  • चन्दन तथा मणि आदि शीतल पदार्थों से युक्त। मरीची = किरण। उपचार = इलाज। मार्तण्ड = सूर्य। तब यदि……बात है = जब देवता तक तेरा ध्यान करते हैं तो फिर एक मनुष्य...
    ३७७ B (२,०८७ शब्द) - १७:४५, ४ अप्रैल २०२४
  • थे। इन्होंने सँस्कृत भाषा में नौ ग्रंथों की रचना की है, जिनमें से 'विवेक-मार्तण्ड', 'योग-चिन्तामणि' आदि प्रकाण्ड ग्रन्थ हैं। इनका आविर्भाव नेपाल अथवा उसकी...
    ८२० B (३,९४६ शब्द) - ०२:४२, ३० जून २०२१
  • भी प्राकर अच- म्भित हुए थे। एक दक्षिणी विद्वान् आए थे, नका नाम नारायण मार्तण्ड था, इनकी गणित मे विलक्षण शक्ति थी, गणित के ऐसे बडे बडे हिसाब जिनको अच्छे...
    ४९० B (६,०६९ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
  • बारिज बरत बिन वारें बारि बारु बीच, ⁠बीच बीच बिचिका मरीचिका सी छहरी। चरण मारतण्ड कै अखण्ड बृजमण्डल है, ⁠कातिक की राति किधों जेठ की दुपहरी॥ शब्दार्थ—बिरह...
    ३४४ B (३,७७१ शब्द) - ०४:३०, २२ सितम्बर २०२२