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कहीं आपका मतलब विकास शर्मा जी तो नहीं था?
  • पदार्थों को एक ही मूलरूप के द्रव्य से उत्तरोत्तर उत्पन्न सिद्ध किया। इस प्रकार विकाश एक विश्व व्यापक नियम माना जाता है। नाना मतों और सम्प्रदायो की पौराणिक सृष्टिकथाओ...
    ३३३ B (५,२४२ शब्द) - ०५:१०, ७ नवम्बर २०२१
  • भारतेन्दु जी ने सन् १८६४ ई० से हिन्दी गद्य पद्य का लिखना प्रारम्भ किया था और सन १९६८ में 'कविवचनसुधा' का उदय हुआ, परन्तु इसे स्वय भारतेन्द्र जी हिन्दी के...
    ४८९ B (५,३१६ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
  • थे विटप - वृन्द. विशेप होते । माधुर्य था विकच, पुष्प - समूह पाता । होती विकाश - मय मंजुल - वेलियाँ थी । लालित्य - धाम बनती नवला लता थी ।।१०८।। ⁠क्रीड़ा-मयी...
    ३६९ B (४,६३८ शब्द) - ०५:३२, १६ अक्टूबर २०२०
  • का स्वाभाविक विकाश यदि पुरुषों के समान स्वाधीनता से होने दिया गया होता, और मनुष्य-जीवन के लिए जिस हद तक स्त्री-पुरुष के स्वाभाविक विकाश को कृत्रिम बनाने...
    ४२१ B (१८,७०० शब्द) - ११:३५, ४ नवम्बर २०२०
  • और जो काम उन्हें पसन्द हो उसे करने की पूरी आज़ादी हो, तथा उनकी बुद्धि के विकाश के लिए पुरुषों के बराबर ही जगह दे दी जाय, साथ ही पुरुषों के बराबर ही उन्हें...
    ३१५ B (१३,०४० शब्द) - ११:४३, ४ नवम्बर २०२०
  • नहीं। हमारी हिन्दी-भाषा विकास-सिद्धान्त का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उसका क्रम-विकाश हुआ है। धीरे धीरे वह एक अवस्था से दूसरी अवस्था [ ११० ] को प्राप्त हुई है...
    ५३२ B (६,६७४ शब्द) - ०५:४१, १५ सितम्बर २०२१
  • जन्म से ही रूढ़ियों का जामा पहनाया जाता है जिससे उसके हृदय और आत्मा के विकाश पर घना काला परदा गिर जाता है। पथरीली जमीन पर उगे हुए वृक्षों की जड़ों के...
    ३९८ B (५,२५३ शब्द) - १८:५७, २८ फ़रवरी २०२१
  • प्रावृषमश्रुविप्रुषां ⁠स्मितेन विवाश्रय कौमुदीमुदः; दृशावितः खेलतु खञ्जनद्वयी ⁠विकाशि पंकेरुहमस्तु ते मुखम् । (सर्ग ९, श्लोक ११२)   भावार्थ—अश्रु बरसाना बंद कर;...
    ३७८ B (७,२८० शब्द) - १६:०७, १ नवम्बर २०२१
  • नहीं मानते। इस दशा पर पहुँचने के लिए अब तक जितना बुद्धि का विकाश हुआ है, इससे कहीं अधिक विकाश की आवश्यकता है। मेरे इस कहने का मतलब यह नहीं है कि बुद्धिवाद...
    ४०७ B (१८,२३८ शब्द) - ११:२६, ४ नवम्बर २०२०