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कहीं आपका मतलब सत्य तो नहीं था?
  • आगे भुक्ति और मुक्ति तृण से भी तुच्छ हैं। हमारे वचन को 'ब्रह्मवाक्य सदा सत्यम्' न समझेगा वह सब नास्तिकों का गुरू है। होली है ⁠तुम्हारा सिर है ! यहां दरिद्र...
    ६७४ B (७८१ शब्द) - ०८:४५, ९ दिसम्बर २०१९
  • बातको स्वीकार करेंगे कि, निष्कपट और सरल व्यवहार मनुष्यमात्रका भूषण है। सत्यमें असत्यका मेलकरनेसे वही परिणाम होता है जो परिणाम सोना और चाँदीमें राँगा इत्यादि...
    ४०५ B (९६७ शब्द) - ०४:२७, १३ अक्टूबर २०२१
  • अच्छी जड़ जमा ली। यह सृष्टि नीतिके पायेपर खड़ी हैं, नीति-मात्रका समावेश सत्यमें होता है। पर सत्यकी खोज तो अभी बाकी है। दिन-दिन सत्यकी महिमा मेरी दृष्टिमें...
    ३८८ B (१,४०८ शब्द) - ०४:०९, ४ अगस्त २०२३
  • आगे भुक्ति और मुक्ति तृण से भी तुच्छ हैं। हमारे वचन को 'ब्रह्मवाक्य सदा सत्यम्' न समझेगा वह सब नास्तिकों का गुरू है। होली है ⁠तुम्हारा सिर है ! यहां दरिद्र...
    ६९९ B (२,१०३ शब्द) - १७:३३, १२ फ़रवरी २०२४
  • अव्यय मानने में कोई बाधा नहीं है। संस्कृत में भी कुछ विभक्त्यंत शब्द (जैसे, सत्यम, सुखेन, बलात्) क्रिया-विशेपण के समान उपयोग में आते हैं और अव्यय माने जाते...
    ३६४ B (५,१०० शब्द) - १५:०८, ९ जुलाई २०२१
  • की प्रारम्भिक और मौलिक मान्यता कुछ दूसरी थी। उपनिषद् में कहा है—तदेतत् सत्यम् मंत्रेषु कर्माणि कत्रयो यान्यपश्यंस्ताति त्रेतायाम् बहुधा सन्ततानि। कवि...
    ५२७ B (५,१६६ शब्द) - १२:५१, १९ नवम्बर २०२१
  • पीछे-पीछे चले हैं। मगर अब साहित्यकारों को अपने विचार से काम लेना पड़ेगा। सत्यम्, शिवं, सुंदरं के उसूल को यहाँ भी बरतना पड़ेगा। सियासियाह ने सम्प्रदायों...
    ४५६ B (५,८६३ शब्द) - १०:२८, २६ जून २०२१
  • कृष्ण क्या हैं ? परोक्ष सत्ता ही की ऐसो अलौकिकतामयो मूर्ति हैं जिनमें 'सत्यम् शिवम सुन्दरम्' मूर्त होकर विराजमान है । सूफी मत के प्रेमा मागियोंकी की रचनाओं...
    ७९२ B (५,९२३ शब्द) - १९:०६, १० जुलाई २०२१
  • सारे विच्छेदोंका सेतु है । उसीके लिये कहा है– तस्य हवा एतस्य ब्रम्हणोनाम सत्यम्--- निखिल सृष्टिके समस्त प्रभेदोंके बीच जो ऐक्यकी रक्षाके लिये सेतुस्वरूप...
    ३८७ B (८,८५६ शब्द) - १७:०१, २५ नवम्बर २०२१