आकाश-दीप
जयशङ्कर 'प्रसाद'
ग्रन्थ संख्या––९५
प्रकाशक तथा विक्रेता,
भारती-भण्डार,
लीडर प्रेस, इलाहाबाद
चतुर्थ संस्करण
२००७ वि॰
मूल्य ३)
मुद्रक––
देवीप्रसाद मैनी
हिन्दी साहित्य प्रेस, प्रयाग
'प्रसाद' जी की सर्वतोमुखी प्रतिभा ने जिन अख्यायिकाओं की उद्भावना की हैं, उनमें जो रस और मर्म है, वह केवल बहिर्जगत से ही सम्बद्ध नहीं अपितु हृदय की उन छिपी हुई भावनाओं पर प्रकाश डालता है जिनका बोध आपको भी यदाकदा हुआ करता है। ऐसी रहस्यमयी वृत्तियों को प्रस्फुटित करना, उन पर प्रकाश डालना ही छायावाद का काम है और इन आख्यायिकाओं में जयशङ्करजी अपने इस उद्देश में कितने सफल हुए हैं सो पाठक स्वयं ही इन अख्यायिका से अनुभव करेंगे।
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