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किसान सिंह पाल हेतु खोज परिणाम निम्न हैं। किशन सिहं पाल हेतु खोज खोजें।
  • हिंस्र जंतु बच्चों को मारकर खा जानेके बदले उन्हें पालते क्यों हैं, इसका कारण अभीतक ज्ञात नहीं हो सका। सिंह महाशयने इन दोनों लड़कियोंको देहातियोंहीके सिपुर्द...
    ४३३ B (१,५९५ शब्द) - १७:४७, ८ नवम्बर २०२१
  • के साथ मिल-जुलकर जो व्यवस्था बनती है, उसे फिर [ १० ] सभी सदस्य मिल-जुलकर पाल-पोसकर बड़ा करते हैं और मज़बूत बनाते हैं। अपने ऊपर खुद लगाया हुआ यह अनुशासन...
    ६२० B (९,८६९ शब्द) - १६:४५, २० नवम्बर २०२०
  • बुलावा फेर देना। मैं करजा लेकर कंगन न बनवाऊँगी। हाँ, गाय पालना जरूरी है। किसानके घर गोरस न हो तो किसान कैसा! तुम्हारे लिये दूध रोटी कलेवा लाया करूंगी। बड़ी...
    २३२ B (१,६२१ शब्द) - ०८:३९, २९ मार्च २०२१
  • सन्दर्भ 50902आज भी खरे हैं तालाब — सन्दर्भ2004अनुपम मिश्र [ ८७ ] संदर्भ [ ८८ ]पाल के किनारे रखा इतिहास खरे सोने से बने तालाबों की कहानी सन् १९०७ के गजेटियर...
    ४४९ B (७,०८९ शब्द) - १४:०९, ३० मई २०२१
  • पासी हफ़्ते में तीन दिन हिरन, चौगड़े और बनैले सुअर खदेड़कर फाँसते हैं, किसान अरहर की ठूँठियों पर ढोर भगाते हुए दौड़ते हैं—कटीली झाड़ियों को दबाकर चले...
    ३९९ B (३,९१५ शब्द) - १९:२९, २६ मार्च २०२३
  •  (1900)  द्वारा लाला लाजपत राय, अनुवादक हरिद्वार सिंह बेदिल लाला लाजपत राय144419योगिराज श्रीकृष्ण1900हरिद्वार सिंह बेदिल [ परिचय ] ग्रन्थकार लाला लाजपतराय भारत...
    ३२६ B (३,२१९ शब्द) - १९:५३, १ नवम्बर २०२०
  • अवस्था उस किसान-पत्नी की तरह हो गई है जो पति से भी छूटी और धन से भी वंचित कर दी गई थी।" बन्दर ने पूछा—"वह कैसे?" तब मगर ने गीदड़ी और किसान-पत्नी की यह...
    ३२० B (७,३३९ शब्द) - ०४:०२, १३ नवम्बर २०२३
  • एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, हाथरस। उपस्थितः– त्रिलोक पाल सिंह, एच॰जे॰एस॰ विशेष सत्र परीक्षण संख्या–583/2020 निर्णय 1.⁠प्रस्तुत सत्र वाद...
    २५८ B (७२,७९७ शब्द) - ०१:४२, १६ जून २०२३
  • माना कि आप बस काम शुरू कर दीजिए। एक बात और कि किसान समाज के फुर्सत का दिन भी वही है। एक फ़सल कट चुकी। किसान के पास थोड़ी समृद्धि आ गई है। उसके पास अब थोड़ा...
    ६०६ B (२२,६४५ शब्द) - १६:५०, २० नवम्बर २०२०
  • पाग बाँधे, मेहमानों और मुखियों का आदर-सत्कार कर रहे थे। उसी वक्त एक मोटर सिंह-द्वार के सामने आकर रुकी और उसमें से तीन महानुभाव उतरे। वह जो खद्दर का कुरता...
    ३७९ B (१०,४५८ शब्द) - ०५:२३, २१ मई २०२१
  • में ही सौन्दर्य नहीं ढूँढ़ा करते। वे फूस के झोपड़ों, धूल-मिट्टी में सने किसानों, बच्चों के मुँह में चारा डालते हुए पक्षियों, दौड़ते हुए कुत्तों और चोरी...
    ४१७ B (१३,४९३ शब्द) - १६:३४, १७ अगस्त २०२१
  • पाग बाँधे,मेहमानों और मुखियों का आदर-सत्कार कर रहे थे। उसी वक्त एक मोटर सिंह-द्वार के सामने आकर रुकी और उसमें से तीन महानुभाव उतरे। वह जो खद्दर का कुरता...
    २४९ B (१०,५०४ शब्द) - २०:५९, १३ जुलाई २०२१
  • नाम दुर्लभराज और परदादाको सङ्गमराज था । बाहिनी विघा से जाने पर अपने भाई [पाल गहाँ घसिष्ठपुर ( वसन्तगढ़ ) चली आई । नि० सं०. १९९९ में उसने वहाँकि सूर्यमन्दिर...
    ३९५ B (४१,५६३ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३
  • टालीं। पर अभिमानी मनुष्य था, यह अपमान न सहा गया। उसने दूमरे दिन ज्वाला[ २८ ]सिंह के इजलास में दारोगा साहब पर मुकदमा दायर कर दिया। इलाके में आग सुलग रही थी...
    २६९ B (६,७२८ शब्द) - १९:१०, १३ जनवरी २०२४