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  • आज्ञा पाय सौनकादि सब ऋषि मुनि अति प्रसन्न हो जो यज्ञ करने लगे, तो जालव नाम दैत्य लब का बेटा आय, महा मेघ कर बादल गरजाय, बड़ी भयंकर अति काली ऑधी चलाय, लगा...
    ३७१ B (७१३ शब्द) - ०८:३९, ५ दिसम्बर २०२१
  • पितामह बड़े ज्ञानी थे, जिन्होंने यज्ञ मे जिसे जैसा देखा तिसे तैसा काम दिया। भीम को भोजन करवाने का अधिकारी किया, पूजा पर सहदेव को रक्खा , धन लाने को नकुल...
    ४१३ B (५१३ शब्द) - ०८:४०, ५ दिसम्बर २०२१
  • खाण्डव बन जला दिया, और अन्धक रिपु इन्द्र से पाशुपत अस्त्र पाकर बहुत से दैत्य मारे, और इन्द्र के साथ आधे आसन पर बैठा जिसने कालिकेय आदि को जीतकर कौरवों...
    ५४० B (९२७ शब्द) - १०:२९, ३० सितम्बर २०२३
  • द्वारिकापुरी से चल हस्तिनापुर आए। इनके आने का समाचार पाय, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव पाँचो भाई अति हर्षित हो उठ धाए औ नगर के बाहर आय मिल बड़ी आवभगत...
    ३७७ B (२,५३६ शब्द) - १६:५४, ४ दिसम्बर २०२१
  • खाकर उसने एक और बाण निकाला। उस पर उसका नाम खुदा हुआ था। उसे उसने बड़े ही भीम-विक्रम से छोड़ा। अपने वाहन ऐरावत हाथी को ठुमकारने से जिसकी उँगलियाँ कड़ी...
    ४७९ B (५,०१३ शब्द) - ०५:२७, १८ सितम्बर २०२१
  • रूप दिखाइए। हनुमानजी ने कहा कि तुम देख न सकोगे। तब भीम ने हठ किया और हनुमानजी ने अपना रूप दिखाया। भीम डर गये और आँखों पर हाथ रख लिया। ८—आँधरो अधम इत्यादि।...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१
  • स्कन्ध के दूसरे अध्याय ही को देख लीजिए । नीच योनि में उत्पन्न माने गये दैत्य हिरण्यकशिपु ने उसमें कितनी तत्वदर्शिता प्रकट की है-अपने गम्भीर ज्ञान की...
    ५१० B (१५,८०५ शब्द) - ०५:३६, १५ सितम्बर २०२१
  • 'अलंकारध्वनि' कहा जाता है। * सुंद और उपसुंद की कथा यों है। सुद और उपसुद नाम के दो दैत्य थे। उन्होने बड़ी भारी तपस्या करके भगवान् ब्रह्मा को प्रसन किया । ब्रह्मा...
    ६४२ B (७,४९२ शब्द) - १३:०४, १९ जुलाई २०२३
  • दैत्यका काम होगया है जैसा कि कहते हैं कि एक दैत्यके लोइको हरेक बून्द से दूसरा दैत्य उत्पन्न होजाता है। दिलाजाका और गक्खड़। जफरखां दिलाजाक पठानों और गक्खड़ोंके...
    १२८ B (७४,४४७ शब्द) - १७:३०, १३ फ़रवरी २०२१