खोज परिणाम

  • भीरे। गावत अति रग रह्यो, मोपै नहिं जाति कह्यो, ⁠व्यास रसप्रवाह बह्यो निरखि नैन सीरे॥ [ १९१ ] (साखी) व्यास न कथनी काम की, करनी है इक सार। भक्ति बिना पंडित...
    ७०५ B (३,१०८ शब्द) - १७:४३, २७ जुलाई २०२३
  • आप उस वायु शुद्ध करने के लिये करते हैं और हमारे हव्य का वही निराकार सार पवन को शुद्ध करता हुआ देवताओं को मिलता है। परंतु जब आपका होम केवल वायु को शुद्ध...
    ५४१ B (२,७७५ शब्द) - २३:४०, ६ अक्टूबर २०२०
  • है कोई भागवत के समान। इस कारन मैं तुझे बारह स्कंध महा पुरान सुनता हूं जो व्यास मुनि ने मुझे पढ़ाया है, तू श्रद्धा समेत [ ७ ] आनंद से चित दे सुने । तब तो...
    ४३७ B (३,२०२ शब्द) - ०३:३४, २१ नवम्बर २०२१
  • ने 'सत्यवतीकथा' नाम की एक कहानी दोहे-चौपाइयों में लिखी थी जिसका आरंभ तो व्यास-जनमेजय के संवाद से पौराणिक ढंग पर होता है, पर जो अधिकतर कल्पित, स्वच्छंद...
    ७०४ B (४,८१६ शब्द) - १७:४४, २७ जुलाई २०२३
  • किया कि "महाराज ! आधी रात के निकट है।” राजा की आँखों में नींद आ रही थी; व्यास कथा कहते थे पर राजा को ऊँघ आती थी वह उठकर रनवास में गया। जड़ाऊ पलँग और फूलों...
    ६८० B (५,१०९ शब्द) - १४:१६, १३ मार्च २०२१
  • कहो, लौकिक व्योहार कहो। प्रेमदास यह श्रीहित-हरिवंशजी के शिष्य हरिराम जी व्यास के शिष्य थे। इन्होने 'हित चौरासी की गद्य मे विस्तृत टीका लिखी है। [ २६ ]इनका...
    ४७९ B (५,५७० शब्द) - ०३:०५, २१ नवम्बर २०२१
  • कवि), सरदार कवि, गोस्वामी दीनदयाल गिरि, कन्हैयालाल लेखक, पडित लक्ष्मीशङ्कर व्यास, बाबू कल्यानदास, माधोराम जी गौड, गुलाबराम नागर और बालकृष्ण दास टकसाली। साधु...
    ४८९ B (७,१३४ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
  • कहते हैं ललितविस्तर. अध्याय १० अंगरजी अनुवाद पृ १८६-५. महाभाग्न के कर्ता व्यास ने स्वयं गणेश को ही उक्त पुस्तक का लखक बनाया ह (आदिपर्व, ११२). वसिष्ठधर्ममत्र...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • और गक्खड़। जफरखां दिलाजाक पठानों और गक्खड़ोंके एक लाख घरोंको, जो अटक और व्यास नदीके बीचमें उपद्रव मचाया करते थे लाहोर की तरफ कूच कराकर धक्के के डेरों...
    १२८ B (७४,४४७ शब्द) - १७:३०, १३ फ़रवरी २०२१