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  • प्रान्त में भी उसका प्रचलन है, उसके अन्तर्गत अधिकांश पहाड़ी भाषायें भी हैं। हिन्दूकुश के दक्षिणी पहाड़ी देशों में एक चौथी भाषा भी पाई जाती है, जिसको डार्डिक...
    ९०३ B (५,३०२ शब्द) - ११:२१, १७ जून २०२१
  • भाषाओं की गणना है १ पश्चिमी हिन्दी २ पूर्वी पहाड़ी ३ मध्यपहाड़ी ४ पंजाबी ५ राजस्थानी ६ गुजराती और ७ पश्चिमीय पहाड़ी। निम्न लिखित भाषायें बहिरंग कहलाती हैं...
    ९२५ B (२,३४० शब्द) - ११:४७, १७ जून २०२१
  • लिखते थे। ब्रजभाषा की अच्छी कविता ये बाल्यावस्था से ही करते थे जिससे बहुत शीघ्र रचना करने का इन्हे अभ्यास हुआ। कृष्णलीला को लेकर इन्होंने ब्रजभाषा में 'ललिता...
    ६९२ B (३,३०४ शब्द) - १७:३९, २७ जुलाई २०२३
  • प्रदेशों में बहुत सी भिन्न भिन्न पहाड़ी भाषाएँ [ ४१ ]बोल जाती हैं जिन्हें हम लोग नहीं समझ सकते, अतः इस सम्पूर्ण पहाड़ी भूमि-भाग को भी इस सिद्धान्त के अनुसार...
    ७२४ B (४,१०० शब्द) - १३:२८, २१ नवम्बर २०१९
  • सामान्य काव्य भाषा हिंदी में है। यह हिंदी कहीं तो देश की काव्यभाषा या ब्रजभाषा है, कहीं खड़ी बोली जिसमें इधर उधर पंजाबी के रूप भी आ गए हैं। जैसे––चल्या...
    ८६१ B (३,००५ शब्द) - २२:४०, २ अक्टूबर २०२०
  • अनुवाद 'हिंदी माघ' के नाम से इन्होंने संवत् १९८५ में किया था। पहले थे ब्रजभाषा के कवित्त आदि रचते थे जिनमे कहीं कहीं खड़ी बोली का भी आभास रहता था। शुद्ध...
    ६२६ B (२,८४६ शब्द) - १७:३८, २७ जुलाई २०२३
  • सत्य ही 'जो अधिकारी नहीं है। उनके समझ में न आवेगा।' हिन्दी-साहित्य की ब्रजभाषा की कविता का साधारण ज्ञाता भी यह जानता होगा कि ब्रजलीला की "स्वामिनी" श्री...
    ५३३ B (२,९५१ शब्द) - १५:३२, १७ जुलाई २०२२
  • 'देखूँगी' के स्थान पर "देखौंगी" ऐसे शब्द बराबर मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ब्रजभाषा या काव्य भाषा के ऐसे ऐसे प्रयोग जैसे "फूलन्ह के" "चहुँदिशि" "सुनि" भी लगे...
    ४४३ B (३,६५४ शब्द) - १६:३४, १७ अगस्त २०२१
  • कृतित्व रीतिकाल की अंतिम सीमारेखा का निर्माण करने वाला केन्द्र बिन्दु है । ब्रजभाषा काव्य के प्रकाण्ड पंडित आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने ग्वाल कवि के महत्व...
    ३०३ B (६,७२२ शब्द) - २०:५०, २२ अप्रैल २०२१
  • हैं और सूबे की भाषा एक सार्वदेशिक भाषा का अङ्ग बन जाती है । हिन्दी ही मे ब्रजभाषा, बुन्देलखण्डी, अवधी, मैथिल, भोजपुरी आदि भिन्न-भिन्न शाखाएँ हैं, लेकिन जैसे...
    २९१ B (५,०७५ शब्द) - ००:४६, ४ अगस्त २०२३
  • मिलती और सूबे की भाषा एक सार्वदेशिक भाषा का अंग बन जाती है। हिन्दी ही में ब्रजभाषा, बुन्देलखण्डी, अवधी, मैथिल, भोजपुरी आदि भिन्न-भिन्न शाखाएँ हैं, लेकिन जैसे...
    ३८६ B (५,४४८ शब्द) - १०:२८, २६ जून २०२१
  • मिश्रित सामान्य “सधुक्कड़ी' भाषा है, पर रमैनी के पदों की भाषा मे काव्य की ब्रजभाषा और कंही कहीं पूरबी बोली भी है। सिद्धों में 'सरह' सबसे पुराने अर्थात् वि०...
    ६७० B (६,४८४ शब्द) - १७:३६, २७ जुलाई २०२३
  • को लिए हुए है। सूर की भाषा बिल्कुल बोलचाल की ब्रजभाषा नहीं है। 'जाकोँ', 'तासोँ', 'वाकोँ, चलती ब्रजभाषा के इन रूपों के समान ही 'जेहि', 'तेहि' आदि पुराने...
    ४१७ B (१८,९८५ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
  • का प्रयोग बेधड़क कर जाते हैं जैसी सामान्य व्यवहार में नहीं सुनाई पड़ती। ब्रजभाषा के कवियों में घनानन्द इस प्रसंग में सबसे अधिक उल्लेख-योग्य हैं भाषा को...
    ४०१ B (९,००९ शब्द) - ११:०३, २२ अगस्त २०२१