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  • और विषय, ३२२; रीति ग्रंथकारों से इनकी भिन्नता ३२२; इनकी विशेषताएँ, ३२२; इनके ६ प्रधान वर्ग-१-१ ) श्रृंगारी कवि, ३२२; ( २ ) कथा-प्रबंधकार, ३२२-३२३; (३ )...
    ४०२ B (२,४११ शब्द) - १७:४६, २७ जुलाई २०२३
  • राजा चन्द्रगुप्त (ईसाके पूर्व ३२२ से २९७ ) के सूबेदार वैश्य पुप्याने बनवाया था। उक्त चन्द्रगुपके पौत्र राजा अशोकके समय ( ईसाके पूर्व २७२-२३२) ईरानी तुपास्फने...
    ४८४ B (८,३२४ शब्द) - ००:०१, २६ अक्टूबर २०२०
  • स्तोत्र ३६७ बैतालपची ४३८, ५०३ भगवद्गीता भाष्य ११६ बैतालपचीसी ( देवदत्त) ३२२ भजन ( महाराज विश्वनाथसिंह ) चैतन्नपची ( लल्लूलाल ) ४२१ ३ ४५ बैतालपचीसी (राजा...
    ३९६ B (३,२९१ शब्द) - १७:३५, २७ जुलाई २०२३
  • वार" (Date of Mahabharata War) शीर्षक लेख में इस प्रश्न पर विचार किया है और उनका अनुमान यह है कि महाभारत ईसा से उन्नीस सौ बरस पहिले हुआ था। अब हम सूर्यवंशी...
    ४६५ B (११,४७५ शब्द) - ०९:२५, ४ जुलाई २०२३
  • कुछ नहीं। यह सब मूर्खता है। आप सब जगह मौजूद है। आवागमन जिसे कहते है [ ३२२ ]वह इस सूक्ष्म शरीर अर्थात् मन के परिवर्तन के कारण उत्पन्न हुई एक मृगमरीचिका...
    ३५५ B (५,११४ शब्द) - ०८:१८, २५ मार्च २०२३
  • थी? यह हम पाठकों को पिछले अध्याय में बता आये हैं। सत्रहवीं और अठारहवीं [ ३२२ ] शताब्दी में भारतवर्ष की सम्पत्ति का ठिकाना नहीं था। उसके नरेशों के कोष...
    ४८५ B (८,३९५ शब्द) - ०५:२२, २३ नवम्बर २०२०
  • वि सं. ५७ ) में होना मान कर इस मंघन के गत वर्ष स्थिर किये परंतु अब बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ईसा का जन्म ई स पूर्व ८ से ४ के बीच हुआ था न कि ई...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • अरस्तू ) ग्रीस का प्रसिद्ध तत्वज्ञानी है। इसका जन्म ईस्वी पूर्व ३८४ और मरण ईस्वी पूर्व ३२२ वर्ष है। यह प्रसिद्ध सिकन्दर का गुरु था। तत्वज्ञानियों में...
    ४२१ B (१८,७०० शब्द) - ११:३५, ४ नवम्बर २०२०
  • नहीं आया दिन-भर गौरा मॅगरू के पास बे दाना-पानी खड़ी रही । गोरा ने कई बार [ ३२२ ] बुलाया, लेकिन वह चुप्पी साधे रह गया। यह सदेह-युक्त निरादर कोमलहृदय गौरा...
    २३५ B (७,५७८ शब्द) - २३:३५, २५ मई २०२१
  • मेरे पैरो की बेड़ी बनी हुई है। आप इस बेड़ी को काटिए। यह भार मैं आप के ही ऊपर रखती हैं। ज्यों ही आप इन दोनों बातों २१ [ ३२२ ]की व्यवस्था कर देगे मैं निश्चिन्त...
    २८९ B (५,७३७ शब्द) - २०:१३, १४ जनवरी २०२४
  • सब जड़ दिवाली का सा दिया चाटकर जायँगे, अवश्य अपने पाप नष्ट हो जायेंगे। [३२२] कुंकुम रंग सु-अंग जितो, मुखचंद सो चंद से होड़ परी है। बोलत बोल समृद्धि चुवै...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१