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कहीं आपका मतलब कृषि कार्य शर्मा तो नहीं था?
  • विवाह नहीं करना है। कृष्ण-—आपको विवाह करना होगा। यहाँ आकर आप ऐसे नहीं लौट सकते। मदन--आपको जो करना हो कीजिये। हम विवाह नहीं करेगे। कृष्ण-—कोई कारण? मदन-—कारण...
    २०६ B (५,१६८ शब्द) - ०८:१२, २७ जुलाई २०२३
  • विवाह नहीं करना है। कृष्ण-—आपको विवाह करना होगा। यहाँ आकर आप ऐसे नहीं लौट सकते। मदन--आपको जो करना हो कीजिये। हम विवाह नहीं करेगे। कृष्ण-—कोई कारण? मदन-—कारण...
    २०६ B (८,६४२ शब्द) - ०८:१३, २७ जुलाई २०२३
  • रक्षा के लिए राम और कृष्ण का आश्रय लिया; और उनकी भक्ति का स्रोत देश के एक कोने से दूसरे कोने तक फैल गया। जिस प्रकार वंग देश में कृष्ण चैतन्य ने उसी प्रकार...
    ४१७ B (१८,९०८ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
  • संगीत-धारा में दूसरे संप्रदायों के कृष्ण भक्तों ने भी पूरा योग दिया। सब संप्रदायों के कृष्णभक्त भागवत में वर्णित कृष्ण की ब्रजलीला को ही लेकर चले क्योंकि...
    ७५७ B (११,६७९ शब्द) - ०१:३३, २० मई २०२४
  • आदर्श हिंदू तीसरा भाग मेहता लज्जाराम शर्मा, संपादक श्यामसुंदर दास बी.ए. 157899आदर्श हिंदू तीसरा भागमेहता लज्जाराम शर्मा   ​ पुष्कर में बालक साधु मत प्रकरण...
    ५०३ B (२,४५६ शब्द) - १३:५८, २२ दिसम्बर २०२१
  • कि सोम एक प्रकार की वल्ली है। उसका इस विषय में हमारे मित्र पं० गिरधर जी शर्मा झालरा-पाटन से लिखते हैं "धूर्त स्वामी के बताये हुए सब लक्षण गिलवे में मिलते...
    ४५३ B (५,२१९ शब्द) - १८:१२, २७ नवम्बर २०२१
  • मैथिलीशरण गुप्त, ठाकुर गोपालशरणसिंह, अनूप शर्मा, श्यामनारायण पांडेय, पुरोहित प्रतापनारायण, तुलसीराम शर्मा 'दिनेश' इत्यादि अनेक कवियों की वाणी के प्रसाद...
    ६२७ B (३९,८११ शब्द) - ०२:१२, २१ मई २०२४
  • नाटकत्व नहीं आया है। एक उदाहरण दिया जाता है–– ताही के उपरांत कृष्ण इंद्र आवत भए। भेंटि परस्पर कांत बैठ सभासद मध्य तहँ॥ बोले हरि इंद्र सों बिनै कै कर जोरि दोऊ...
    ७१६ B (२१,५३० शब्द) - ०२:२२, २० मई २०२४
  • श्रीयुत पं० दुलारेलाल जी भार्गव के द्वारा, जयपुर-निवासी श्रीयुत पं० हनूमान् शर्मा जी से प्राप्त हुई है । हमारे अनुमान से बिहारी-सतसई पर यही सबसे पहली टीका...
    ३९८ B (१०,८६१ शब्द) - २३:५५, १० जुलाई २०२४
  • शरीर के नेत्र, नासिका और वृक्ष के पत्र, पुष्प, फल, मूले, पृथिवी, जल के कृष्ण, रक्त, श्वेत, मृत्तिका, पाषाण, चन्द्र, सूर्यादि चिह्न बनाता तथा सब को देखता...
    ७०६ B (६,८५९ शब्द) - ०३:२६, ४ अगस्त २०२३
  • "आर्यासप्तशती" और "गाथासप्तशती" की छाया ​लेकर बने हैं, इस बात को पंडित पद्मसिंह शर्मा ने विस्तार से दिखाया है। पर साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बिहारी...
    ६४७ B (२१,१०५ शब्द) - ०१:५७, २० मई २०२४
  • इसी विभूति का अवलम्बन करते हैं। तुलसी और सूर ऐसे सगुणोपासक भक्त राम और कृष्ण की सौन्दर्य-भावना में मग्न होकर ऐसी मंगल-दशा का अनुभव कर गए हैं जिसके सामने...
    ४१७ B (१३,४४५ शब्द) - १६:३४, १७ अगस्त २०२१
  • शीतल किरणों से मुझे स्पर्श करना'। कृष्ण की रानियाँ कहती हैं—'ए टिटिहरी! इस रात्रि के समय जब कि गुप्त बोध भगवान् कृष्ण सोये हुए हैं तू क्यों नहीं सो जाती...
    ५७५ B (१६,६०१ शब्द) - ०१:४४, १७ जुलाई २०२४
  • ३. बिसराई ( २, ३, ४, ५ )। ​________________ विहारी-रत्नाकर 123४४१ १०६ कृष्ण काव की टीका को छोड़ कर अन्य सब प्राचीन का में ‘बासर' पाठ मिलता है, और प्रभुदयालु...
    ३२६ B (१६,४३५ शब्द) - २३:२८, ९ जुलाई २०२४
  • १०३ (१७) अनुवाद. हे स्वामी, जब प्राण तन से निकले तो इतनी कृपा हो कि कृष्ण कृष्ण कहकर मेरी जान इस शरीर से निकले । श्री गंगाजी का किनारा हो, श्री यमुनाजी...
    ९६ B (७५,१२० शब्द) - २०:४६, १५ मई २०२४
  • शब्द को रासो साहित्य की भरपूर सार्थकता सिद्ध करने वाला मानते हैं। डॉ० दशरथ शर्मा ने सिद्ध किया है कि रासो प्रधानतः गान-युक्त नृत्य- विशेष से क्रमशः विकसित...
    ४९३ B (२१,९१० शब्द) - ०१:१०, ११ जुलाई २०२४