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  • गुन-औगुनन रोष नहिं कीजत दासनिदासि की इतनी सहियो॥ तुम बिन स्याम कहा हम करिहैं यह अवलंब न सपने लहियो। सूरदास प्रभु यह कहि पठई कहाँ जोग कहँ पीवन दहियो॥१९०॥ तिनकातोर=नातातोड़...
    ५६५ B (७२ शब्द) - १९:४३, २ सितम्बर २०२०
  • बहुतेरो॥ [ २०८ ] भलेहि मिले बसुदेव देवकी जननि जनक निज कुटुँब घनेरो। केहि अवलंब रहैं हम ऊधो! देखि दुःख नँद-जसुमति केरो॥ तुम बिनु को अनाथ-प्रतिपालन, जाजरि...
    ५६७ B (७९ शब्द) - ०२:१९, २१ सितम्बर २०२०
  • या बिरह-समुद्र सबै हम बूड़ी चहति नहीं। लीला सगुन नाव ही, सुनु अलि, तेहि अवलंब रही॥ अब, निर्गुनहि गहे जुवतीजन पारहि कहौ गई को? सूर अक्रूर छपद के मन में...
    ५८९ B (१०० शब्द) - २२:४६, २१ सितम्बर २०२०
  • [ २०७ ] [ २०८ ] भलेहि मिले बसुदेव देवकी जननि जनक निज कुटुँब घनेरो। केहि अवलंब रहैं हम ऊधो! देखि दुःख नँद-जसुमति केरो॥ तुम बिनु को अनाथ-प्रतिपालन, जाजरि...
    ५६५ B (१३१ शब्द) - ०२:२१, २१ सितम्बर २०२०
  • अधीर खुली। छिन्नपत्र मकरद लुटी सी ज्यों मुरझायी हुई कली। [ १०२ ] नव कोमल अवलंब साथ में वय किशोर उँगली पकड़े , चला आ रहा मौन धैर्य-सा अपनी माता को जकड़े...
    २२७ B (२,०२४ शब्द) - १३:१५, १५ अक्टूबर २०१९
  • दूध के जले थे, छाछ भी फूक-फूककर पीते थे। माता और पिता के जीवन में और क्या अवलंब । दीनदयाल जब कभी प्रयाग जाते, तो जालपा के लिए कोई-न-कोई आभूषण जरूर लाते।...
    ३७७ B (१,०४२ शब्द) - २०:४०, २९ जुलाई २०२३
  • हाथ में कर्म-कलश वसुधा-जीवनरस-सार लिये दूसरा विचारों के नभ को या मधुर अभय अवलंब दिये त्रिवली थी त्रिगुण-तरंगमयी, आलोकवसन लिपटा अराल ⁠⁠⁠⁠चरणों में थी गति...
    २३८ B (२,४९६ शब्द) - ०१:०१, २२ अक्टूबर २०१९
  • से हीन कर सके नहीं आत्म-विस्तार। दब रहे हो अपने ही बोझ खोजते भी न कहीं अवलंब, तुम्हारा सहचर बन कर क्या न उऋण होऊँ में बिना विलंब? समर्पण लो--सेवा का...
    १७३ B (१,२८६ शब्द) - ००:५३, २२ अक्टूबर २०१९
  • मिलेंगी, फिर भी वह हाथ फैलाता है, बढ़ती भनाता है। उसे आशा का अवलंब नहीं निराशा ही का अवलंब है। एकाएक सड़क के दोहनी तरफ बिजली का प्रकाश दिखाई दिया। देवीदीन...
    ४२५ B (३,२६५ शब्द) - २०:३९, २९ जुलाई २०२३
  • श्रद्वा-मुख पर झलक उठी थी , सेवा कर-पल्लव में उसके कुछ करने की ललक उठी थी। दे अवलंब, विकल साथी को कामायनी मधुर स्वर बोली-- "हम बढ़ कर दूर निकल आये अब करने का...
    २१६ B (१,५६० शब्द) - ०९:३४, १५ अक्टूबर २०१९
  • उन्हें मैं भेज दूं। जहाँ शान्त उनका दुखमय जीवन रहे ।। जहाँ मिले वह वल जिसके अवलंब से। मर्मान्तिक बहु - वेदन जाते हैं सहे ॥२९॥ आप कृपा कर क्या बतलायेगे मुझे।...
    ३८० B (१,५९४ शब्द) - १७:५९, २१ दिसम्बर २०२१
  • दूध के जले थे, छाछ भी फूक-फूककर पीते थे। माता और पिता के जीवन में और क्या अवलंब । दीनदयाल जब कभी प्रयाग जाते, तो जालपा के लिए कोई-न-कोई आभूषण जरूर लाते।...
    १९६ B (१,०४२ शब्द) - १७:२५, २६ जुलाई २०२३
  • सिद्धांतों के अनुसार किया जाना चाहिए। उन्होंने इस न्यायालय के निर्णयों का अवलंब लिया। उन्होंने इस न्यायालय द्वारा विशेष भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिकारी...
    ३२३ B (५,६४४ शब्द) - ११:११, २३ मई २०२३
  • व्यतीत करते हैं, इस विषय में एक मत है इसमें संदेह नहीं, तथापि इस पर सर्वथा अवलंब करते नहीं बनता। सच पूछिए तो- "आत्मैव आत्मनो बंधुः, प्रात्मैव रिपुरात्मनः...
    ७२६ B (२,१९७ शब्द) - १४:११, १३ मार्च २०२१
  • कर। हे भगवती राजराजेश्वरी, इसका हाथ पकड़ो। (रोकर) अरे कोई नहीं जो इस समय अवलंब दे। हा ! अब मैं जी के क्या करूँगा? जब भारत ऐसा मेरा मित्र इस दुर्दशा में‌...
    ४७० B (१,३७८ शब्द) - ०४:२३, १९ मई २०२१
  • सेवक थे। उन्हीं के अन्न से इस देह की रक्षा हुई है। इसलिये में अनीति का अवलंब करके अपने मालिक पर कभी शस्त्र चलाने हेतु सेना को रणक्षेत्र में उपस्थित नहीं...
    ३८६ B (१,९१५ शब्द) - ०८:५०, १७ मई २०२१
  • प्रगति दिशा को पल में अपने एक मधुर इंगित से बदल सके जो छल में-- वही शक्ति अवलंब मनोहर निज मनु को थी देती , जो अपने अभिनय से मन को सुख में उलझा लेती। "श्रद्धे...
    २३२ B (२,२८२ शब्द) - ०१:००, २२ अक्टूबर २०१९
  • विपत्ति में सहायता करेगा। हे दीनानाथ, अशरण-शरण! मुझे सिवाय तेरे और कोई अवलंब इस समय नहीं है। देखो तुम्हारे रहते मैं अबला इस घोर बन में अनाथों की तरह...
    ४१७ B (१,९८८ शब्द) - ०३:५८, २१ मई २०२१
  • दूध के जले थे, छाछ भी फूक-फूककर पीते थे। माता और पिता के जीवन में और क्या अवलंब । दीनदयाल जब कभी प्रयाग जाते, तो जालपा के लिए कोई-न-कोई आभूषण जरूर लाते।...
    २०९ B (२,३५७ शब्द) - १७:२४, २६ जुलाई २०२३
  • रह गई। आज ही के दिन पर तो उसको समस्त आशाएं अवलंबित थीं। दुर्दैव ने आज वह अवलंब भी छीन लिया। उस निराशा के आवेश में उसका ऐसा जी चाहने लगा कि अपना मुंह नोच...
    ३७७ B (२,००६ शब्द) - २०:४१, २९ जुलाई २०२३
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