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  • के सब हुक्मों को बजा लाने का इकरार किया। तोते और माहीगीर ने अब इस बात का मंसूबा किया कि राजा को लड़की को बचाने की सब से अच्छी क्या तरकीब होगी। बुड्ढे ने...
    ३५५ B (२,२९९ शब्द) - ०३:१०, १४ सितम्बर २०२०
  • ४१—संयुक्त ईस्ट इंडिया कम्पनी। १—१६०० ई॰ में लण्डन के लगभग सौ सौदागरों ने मिलकर मन्सूबा किया कि भारतवर्ष के साथ व्यापार किया जाय। इस अर्थ से उन्होंने एक कम्पनी...
    ७८० B (६५१ शब्द) - १२:५४, १६ सितम्बर २०२०
  • ले जानेवाले चोर इस ताक में रहने लगे कि मौक़ा मिले तो हाथ मारें। एक दिन मन्सूबा गाँठकर त्रिलोचन मिले और अपनी ज्ञानवाली आँख खोलकर बड़े अपनाव से बिल्लेसुर...
    ३७१ B (६५३ शब्द) - १०:३०, १२ दिसम्बर २०२१
  • और अ़लाउद्दीन चित्तौर का सत्यानाश करके दूसरे राज्यों के तहस-नहस करने का मन्सूबा बांधने लगा तो उसे रामदेव का ख़याल हुआ और उसने चिढ़कर [सन् १३०६] देवगढ़...
    २७५ B (१,५३४ शब्द) - १७:२१, १४ जनवरी २०२०
  • जिन्दगी पर धिक्कार है। चारों तरफ अन्धेरा है, कहीं प्रकाशकी झलक तक नहीं। सारे मंसूबे, सारे इरादे खाकमें मिल गये। अपने जीवनको आदर्श बनाना चाहता था, अपने कुलको...
    २५४ B (९६९ शब्द) - २२:५९, २८ मार्च २०२१
  • गहने बनवाने का क्या काम, इतना सब नहीं होता कि अनाज घरमें आ जाय तो यह सब मंसूबे बांधे। मुझे रुपयोंका सूद दोगे, लिखाई दोगे, नजराना दोगे, मुनीमजीकी दस्तुरी...
    २४८ B (९६० शब्द) - ०८:४३, २९ मार्च २०२१
  • निपटाकर यहाँ से विदा होना चाहिए। चलने की औरों का उतावल न थी । केवल तकाजा बूढे भगवानदास' का था । बस उसी के तकाजे से इन्होंने वहाँ से चलने की मंसूबा किया ।...
    ५७५ B (२,०२३ शब्द) - १४:४७, १८ दिसम्बर २०२१
  • 49085कर्मभूमि1932प्रेमचंद [ १८९ ] तीसरा भाग [ १९१ ] १ लाला समरकान्त की जिन्दगी के सारे मंसूबे धूल में मिल गये। उन्होंने कल्पना की थी कि जीवन-संध्या में अपना सर्वस्व बेटे...
    २६४ B (१,२९५ शब्द) - १८:१५, २१ जुलाई २०२३
  • वह मेरा नौ बजे सो कर उठना, बारह बजे तक मटरगश्ती करना, नई-नई शरारतों के मंसूबे बाँधना और अध्यापकों की आँख बचाकर स्कूल से उड़ जाना, सब आप-ही-आप जाता रहा।...
    ६०३ B (४,४५९ शब्द) - १०:३४, २२ मई २०२०
  • उसे दे देंगे। इतने रुपयों में उसका क्या होगा? उसको जिन्दगी में बड़े-बड़े मंसूबे थे। पहले तो उसे सम्पूर्ण जगत् की यात्रा करनी थी, एक-एक कोने की। पीरू और...
    ६६५ B (५,३९५ शब्द) - २२:०६, १३ जुलाई २०२०
  • पराधीनता की जंजीर को तोडना होगा। इस जंजीर को तोड़ने के लिए वह तरह-तरह के मंसूबे बाँधने लगा, जिसमें यौवन का उन्माद था, लड़कपन की उग्रता थी और थी कच्ची बुद्धि...
    २५० B (१,९२५ शब्द) - १८:१७, २१ जुलाई २०२३
  • कुटुम्ब के बड़े-बूढ़ों को चौपाल में बैठकर किसी पड़ोसी सरदार पर हमला करने के मंसूबे बाँधते या किसी बलवान् सरदार के आक्रमण से बचाव के उपाय सोचते देखता होगा और...
    ४७६ B (३,६६३ शब्द) - ०६:१७, २९ जुलाई २०२०
  • गौर न किया और काबुल में फ़ौज लेजाकर शाहशुजा १८३८ ई० को तख्त पर बैठाने का मंसूबा बांधा रंजीतसिंह को भी उस में शामिल कर लिया और आपसमें अह्द पैमान,होगया कि...
    ४९६ B (२,९७६ शब्द) - ०९:३५, ६ मई २०२१
  • 49043कर्मभूमि१९३२प्रेमचंद [ १८९ ] तीसरा भाग [ १९१ ] १ लाला समरकान्त की जिन्दगी के सारे मंसूबे धूल में मिल गये। उन्होंने कल्पना की थी कि जीवन-संध्या में अपना सर्वस्व बेटे...
    ५५० B (१,३६८ शब्द) - ०६:४९, २६ अक्टूबर २०१९
  • का खर्च रा लगा और वह कुछ दिन आराम से बैठेगे या घूमेंगे। लेकिन इतना बड़ा मंसूबा बांधकर वन अब शांत से बैठ सकते हैं? उनके भक्तों की काफी तादाद भी दो- चार...
    ३०६ B (५,०९४ शब्द) - २०:३९, २१ मई २०२१
  • हुआ है। उसे हमेशा यही धुन सवार रहती है कि रुपये कहां से आवे; तरह-तरह के मंसूबे बांधता है, भांति-भांति की कल्पनाएं करता है, पर घर से बाहर नहीं निकलता। हां...
    ४१९ B (२,२४८ शब्द) - २०:४१, २९ जुलाई २०२३
  • जाने कहाँ और किस दशा में है और मेरी लड़की का यह हाल हुआ। तुमने मेरे सारे मंसूबे खाक में मिला दिये।" [ ५६९ ] वह उसी क्रोध-प्रवाह में न जाने और क्या-क्या...
    २१२ B (२,१०५ शब्द) - १९:२९, ३१ जुलाई २०२३
  • ख़ाहमखाह सर्कार अंगरेज़ बहादुर से लड़ना विचारा। बहुत लोग यह भी कहते हैं कि मंसूबा इस लड़ाई का रानी और सर्दारों ने उठाया था। और फ़ाइदाउस में यह सोचा था। कि...
    ४९० B (३,४१० शब्द) - ०९:३५, ६ मई २०२१
  • हुआ है। उसे हमेशा यही धुन सवार रहती है कि रुपये कहां से आवे; तरह-तरह के मंसूबे बांधता है, भांति-भांति की कल्पनाएं करता है, पर घर से बाहर नहीं निकलता। हां...
    ४१३ B (२,५४४ शब्द) - २०:३९, २९ जुलाई २०२३
  • पृथ्वीराज के सिंहासन पर न गाड़ूँ, तो मेरा जीना अकारथ है। यह विचार, यह मंसूबे, यह जोशे-आज़ादी, यह अन्तर्ज्वार सदा उसके प्राणों को जलाती रहीं। और अन्त...
    ४१४ B (५,५०६ शब्द) - ०६:१७, २९ जुलाई २०२०
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