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  • गौना ताल: प्रलय का शिलालेख 145653साफ़ माथे का समाज — गौना ताल: प्रलय का शिलालेख2006अनुपम मिश्र [ ११२ ] गौना ताल: प्रलय का शिलालेख सन् 77 की जुलाई का तीसरा...
    ५९० B (२,०८८ शब्द) - १६:४८, २० नवम्बर २०२०
  • गई हों। कुशानवंशीय नरेशो के शासन-समय के अन्तर्गत पूर्व-कालीन शिलालेख प्राकृत मिली हुई संस्कृत भाषा में और उत्तर-कालीन शिलालेख संस्कृत मिली हुई प्राकृत...
    ६०९ B (१,७३० शब्द) - १९:०३, १३ दिसम्बर २०२०
  • प्राप्त हुए उस समय के शिलालेखों की है। इनमें सर्वत्र शक-संवत् का प्रयोग है और वह भी उसी ढँग से किया गया है जिस ढँग से कि भारतीय शिलालेखो में पाया जाता...
    ९०८ B (२,००३ शब्द) - १६:१९, १७ जुलाई २०२३
  • निर्व्वाण-प्राप्तिका वह २३५ वाँ वर्ष था। राज्यप्राप्तिके तेरहवें वर्षके एक शिलालेख या अभिलेखमें अशोकने लिखा है कि "अपने तिलक नवें वर्ष मैंने कलिङ्गदेशके निवासियोंसे...
    ६३७ B (२,२३९ शब्द) - १७:४३, ८ नवम्बर २०२१
  • और विक्रमादित्य के मध्य हुआ था। इसके सिवा इसका अब और क्या प्रमाण चाहिए ? इस पर भी शायद कोई यह कहे कि यह सब सही है। पर कोई पुराना शिलालेख लाओ, कोई पुराना...
    ३४९ B (६,९८१ शब्द) - १५:३०, १६ सितम्बर २०२१
  • राजकेसरी चम्मन के भी नाम से प्रसिद्ध था। यह ईसा की दसवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में विद्यमान था। राजेन्द्र चोल (प्रथम) का एक शिलालेख मिला है। वह उसके...
    ९७८ B (७०९ शब्द) - १६:२०, १७ जुलाई २०२३
  • साँची के स्तूप भिलसा के बिलकुल पास हैं। पूर्व काल मे भिलसा [ ४६ ] की बस्ती साँचो तक थी। रूपनगर मे अशोक के खुदे हुए शिलालेख मिले हैं। यह नगर भी उस समय बहुत...
    ४३० B (१,७२५ शब्द) - १९:०३, १३ दिसम्बर २०२०
  • मिले है। उनकी लिपि और भाषा दक्षिणी भारत के पल्लव-नरेशों के शिलालेखों से मिलती- जुलती है। बोर्नियो के शिलालेख में अश्ववना नामक राजा का उल्लेख है। यह राजा...
    ९१६ B (३,७६३ शब्द) - १६:२०, १७ जुलाई २०२३
  • हैं। खजुराहो के मन्दिर छत्रपुर की रियासत में हैं। जिस समय महाराजा छत्रपुर ने इस मन्दिर की मरम्मत कराई उस समय यह शिलालेख इस मन्दिर के नीचे एक जगह गड़ा...
    ६२० B (३,०३७ शब्द) - १९:०३, १३ दिसम्बर २०२०
  • के विषय में एक शिलालेख लिखा है कि उसने अनेक शत्रु राजाओं को जीत कर कान्यकुब्ज को अपनी राजधानी बनाया। मिस्टर सी० ची० वैद्य लिखते हैं कि "हर्ष के समय से...
    ७८८ B (१,५५२ शब्द) - ०९:२४, ४ जुलाई २०२३
  • राजों के समय के कई शिलालेख इन गुफाओं के भीतर हैं। ग्वालियर के किले में ये गुफ़ा-मन्दिर और मूर्तियां भी देखने की चीज़ हैं। बादशाही कारागार किले के पश्चिम...
    ३१८ B (४,५७० शब्द) - १३:४१, ३ मई २०२१
  • अशोक के समय के शिलालेख और स्तम्भ-लेख ईसा के कोई २५० वर्ष पहले के हैं। वे सब दो प्रकार की प्राकृत में हैं। एक पश्चिमी प्राकृत, दूसरी पूर्वी। यदि उस समय उसके...
    ५१७ B (१,५९१ शब्द) - २३:१८, १३ अगस्त २०२०
  • प्राचीन समय की घटनाओं का बहुत कुछ ज्ञान [ ११ ] प्राप्त कर सकते हैं और उस समय के इतिहास की रचना भी कर सकते हैं। यह सामग्री प्राचीन ग्रन्थ, शिलालेख, ताम्रपत्र...
    ८३९ B (४,५३५ शब्द) - १६:१९, १७ जुलाई २०२३
  • हैं। उनके चलाये हुए अगस्त्य-गोत्र में इस समय भी सहस्रशः मनप्य विद्यमान हैं। पूर्वीय द्वीपों में पाये गये एक शिलालेख तक में इस घात का निर्देश है। अगस्त्य-ऋषि...
    १ KB (१,६८० शब्द) - १६:२०, १७ जुलाई २०२३
  • के प्राचीन शिलालेखों, ताम्रपत्रों और दानपत्रों की ओर गया। इधर भी आपने अच्छा काम किया। कितनी ही नई-नई बातें मालूम की। कालिदास और माघ के स्थिति-समय के विषय...
    ७३३ B (७४९ शब्द) - १५:५३, ३१ अक्टूबर २०२१
  • गोंड़ों के अनन्तर देवगढ़ गुप्तवंशी राजों के अधिकार में आया। स्कन्दगुप्त आदि इस वंश के राजों के कई शिलालेख अब तक देवगढ़ में विद्यमान हैं। गुप्तवंश के अनन्तर...
    ४०८ B (२,३८१ शब्द) - १९:०४, १३ दिसम्बर २०२०
  • पहले वह मालव-संवत् के नाम से उल्लिखित होता था। अनेक शिलालेखो और ताम्र-पत्रो के आधार पर उन्होने यह दिखाया कि ईसा के सातवें शतक के पहले लेखो और पत्रो मे...
    ५१७ B (२,९८३ शब्द) - १८:१३, २७ नवम्बर २०२१
  • प्राचीन चिह्न (श्रेणी 1929 के कार्य)
    करने के जो साधन हैं उन साधनों मे प्राचीन इमारतें, प्राचीन स्थान और प्राचीन वस्तुएँ सबसे अधिक महत्त्व की समझी जाती हैं। क्योंकि पुराने शिलालेखों, ताम्रपत्रों...
    ५१७ B (५१२ शब्द) - २३:४२, २३ अप्रैल २०२१
  • है। ऐसा करने वालों के नाम एक शिलालेख में लिख कर दर्ज कर देने चाहिए और कुछ विरोध नहीं हो सके तो किसी बड़े पर्वत की चोटी पर यह शिलालेख लगा दें कि भैया आने...
    ५९४ B (१,३२४ शब्द) - १६:५०, २० नवम्बर २०२०
  • (तीसरा)। कालभोज का समय वि॰ सं॰ ७९१ से ८१० तक है और तीसरे खुम्माण के उत्तराधिकारी भर्तृपट्ट (दूसरे) के समय के दो शिलालेख वि॰ सं॰ ९९९ और १००० के मिले हैं। अतएव...
    ७४४ B (६,९३७ शब्द) - १०:००, ८ जुलाई २०२३
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