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  • थे। उन्होंने बहुमूल्य पुस्तकालयों तक की स्थापना अपने मठों में की थी। जो [ ११० ] बौद्ध श्रमण चीन से भारत और जो भारत से चीन जाते थे वे इन्हीं मठों और विहारों...
    १ KB (१,७३८ शब्द) - १६:२०, १७ जुलाई २०२३
  • अपभ्रंश आटोमन हो गया। [ ११० ]⁠१३५९ में, मुराद ( प्रथम ) तुर्कौं का राजा हुआ। उसने अपना हाथ योरप की ओर बढ़ाया। योरप के दक्षिण-पूर्व में बालकन नाम का एक प्रायद्वीप...
    ५१२ B (२,४७३ शब्द) - १५:५७, ९ नवम्बर २०२१
  • १०३ से ११० तर्क और दूसरी बार ११३ चे ११८ या ११६ तक महाक्षप रहा या। इससे अनुमान होता है ॐि या तो जवामा इन हों पर शू० स० १०० से १०३ तइकें या ११० से ११३ तकके...
    ४८४ B (८,३२४ शब्द) - ००:०१, २६ अक्टूबर २०२०
  • (वि० सं० १२०८) के पूर्व ही यह अपने पिता युवज घनाया गया था। पुथ्वीरशिवमयं महाकाव्यमें सा है कि प्रधान द्वारा गइपर लिए जाने के पूर्व अजमेरके चोहान राजा...
    ४९५ B (६,५१९ शब्द) - ००:०१, २६ अक्टूबर २०२०
  • कितना प्राचीन शहर है, ठीक ठीक नहीं मालूम। ईसा के १२०० वर्ष पहले तक उसके अस्तित्व का पता चलता है। शाक्यमुनि ने, ईसा के ६०० वर्ष पहले, जिस समय पहले पहल अपने...
    ३७४ B (५,५५५ शब्द) - १३:४०, ३ मई २०२१
  • उसके साहित्य का विकासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' [ ११० ] (दूसरा प्रकरण) हिन्दी साहित्य का पूर्व रूप और आरम्भिक काल आविर्भाव-काल ही से किसी भाषा में साहित्य...
    ८७५ B (३,७१७ शब्द) - १२:०८, २६ जून २०२१
  • लेगमें दनकी क्शावली सिन्धुराजसे प्रारम्म की गई है । परन्तु दूसरे लेखोंमें [ ११० ]________________ परमार-चंश । रिन्युज नाम नहीं मिलता । इनमें उत्पलसे ही...
    ३९५ B (४१,५६३ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३
  • साहब ऐसे लड़के को कैसे छोड़ सकते थे। उन्होंने अपने दफ्तर का कमरा उसके लिए [ ११० ]खाली कर दिया;और मन्साराम वहाँ से आते ही अपना सामना इक्के पर लादने लगा। मुन्शी...
    २४६ B (३,०८४ शब्द) - ०७:५७, १९ सितम्बर २०२१
  • पड़ता । मुझे घर के सारे आनन्द प्राप्त हैं और जिम्मेदारी एक भी नहीं। तुमने [ ११० ] ही मेरे हौसलों को उभारा, मुझे उत्तेजना दी। जब कभी मेरा उत्साह टूटने लगता...
    ३२७ B (६,८४३ शब्द) - २२:५४, २१ मई २०२१
  • पूर्व इसका प्रयोग करना यही बतलाता है कि उस समय इस चिकका ठीक ठीक काम नहीं रहा था . 'क' के ऊपर का यह विहन जिल्हामूलीय का है (देखो, लिपिपत्र १६) [ ११० ]१०८...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • किसी धनी को अमेरिका के किसी धनी की बात सुनकर ईर्ष्या नहीं होगी। हिन्दी के [ ११० ]किसी कवि को इटली के किसी कवि का महत्त्व सुनकर ईर्ष्या नहीं होगी। सम्बन्धियों...
    २८९ B (५,५१६ शब्द) - १६:३६, १७ अगस्त २०२१
  • उदाहरण है। उसका क्रम-विकाश हुआ है। धीरे धीरे वह एक अवस्था से दूसरी अवस्था [ ११० ] को प्राप्त हुई है । वह एक प्रकार से अनादि है। नहीं कह सकते कब से मानव-जाति...
    ५३२ B (६,६७४ शब्द) - ०५:४१, १५ सितम्बर २०२१
  • प्रोटोगोरस––ईसा से ४०० वर्ष पूर्व इस नाम का यूनान में एक प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ता हुआ है। प्रोटागोरस का उस समय के यूनानी देवताओं में विश्वास नहीं था। इस कारण इसके...
    २८१ B (१३,२८१ शब्द) - १५:०५, २६ जनवरी २०२१
  • मर्यादा ( पत्रिका } १२६ . मल्लिका देवी या बैंगसरोजिनी ५०० मंगलघट ६१३ महात्मा ईसा ५५६ ,, मंगलप्रभात ५४२ महादे-गोरख-संवाद १८ पडोवर का वर्णन ४१३ महाभारत ४४६ :...
    ३९६ B (३,२९१ शब्द) - १७:३५, २७ जुलाई २०२३
  • कुछ लिख रहे थे। उन्होंने मुझे देखकर पूछा--क्यों, उस अफ्रीदी को मार आए ? [ ११० ]मैंने बैठते हुए कहा--जी हाँ, लेकिन सरदार साहब, न जाने क्यों मैं कुछ थोड़ा...
    ६२६ B (७,३२७ शब्द) - ०८:५३, १० मार्च २०२०
  • हो रहा है! परन्तु तुम उसकी एक नहीं सुनती। तुम्हारी मूढ़ता की सीमा नहीं। [ ११० ] नल के न मिलने पर मर जाने का जो तुमने प्रण किया है; वह भी तुम्हारी मूर्खता...
    ५६६ B (८,३४४ शब्द) - १७:४१, ४ अप्रैल २०२४
  • जवाहिर और जड़ाऊ पदार्थ बादशाहने उसको दिवे घे वह सब इस प्रकार थे रुपये २ लाख, हाथो ५ और घोड़े ११०। खुर्रमने जो कुछ दिया था वह इससे अलग था। बादशाहने मुबारकखां...
    १२८ B (७४,४४७ शब्द) - १७:३०, १३ फ़रवरी २०२१
  • सुमित्रा परि पाय कहै अ. ४ "कीन्हीं छोनी छत्री बिनु, छोनिय-छपनहार लं० २६ ११० कौबे कहा, पढ़िबे को कहा उ०१०४ कीबे को बिखेक लोक लोकपालहू ते सब कीर के कागर...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१