[ १५५ ]
ऊधो! इतनी बात स्याम सों समय पाय कहिबी॥
घोष बसत की चूक हमारी कछू न जिय गहिबी। परम दीन जदुनाथ जानिकै गुन बिचारि सहिबी॥ एकहि बार दयाल दरस दै बिरह-रासि दहिबी। सूरदास प्रभु बहुत कहा कहौं बचन-लाज बहिबी॥१८९॥