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भ्रमरगीत-सार/२२०-ऊधो भली करी अब आए

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बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १६४ से – १६५ तक

 

राग कल्याण
ऊधो! भली करी अब आए।

विधि-कुलाल कीने काँचे घट ते तुम आनि पकाए॥
रंग दियो हो कान्ह साँवरे, अँग अँग चित्र बनाए।
गलन न पाए नयन-नीर तें अवधि अटा जो छाए॥

ब्रज करि अँवाँ, जोग करि ईंधन सुरति-अगिनि सुलगाए।
फूँक उसास, बिरह परजारनि, दरसन-आस फिराए॥
भए सँपूरन भरे प्रेम-जल, छुवन न काहू पाए।
राजकाज तें गए सूर सुनि, नंदनंदन कर लाए॥२२०॥