भ्रमरगीत-सार/२५१-मधुकर के पठए तें तुम्हरी व्यापक न्यून परी
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सूरदास प्रभुता का कहिए प्रीति भली पसरी!
राजमान सुख रहै कोटि पै घोष न एक घरी॥२५१॥
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १७५ से – १७६ तक
सूरदास प्रभुता का कहिए प्रीति भली पसरी!
राजमान सुख रहै कोटि पै घोष न एक घरी॥२५१॥