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- उत्साहवर्द्धक हैं, पर उस निष्काम देशभक्ति और आत्मत्याग का उदाहरण, जिसने गोपाल कृष्ण गोखले को सारे राष्ट्र के लिए गर्व और गौरव की वस्तु बना रखा है, कठिनाई से...४६५ B (५,९४९ शब्द) - ०३:१९, २९ जुलाई २०२०
- है तो लगाव। इतना वचन सुनतेही कुबजा ने बड़े राव चाव से चित्त लगाय जब राम कृष्ण को चंदन चरचा, तब श्रीकृष्णचंद ने उसके मन की लारा देख दया कर पाँव पर पाँव...३७९ B (९९५ शब्द) - १५:२७, ४ दिसम्बर २०२१
- किसी तरह का शक न हो, और उस मकान के अन्दर जाने की तरकीब भी लिख दी थी। कृष्ण जिन्न की राय को राजा साहब ने स्वीकार किया और पत्र का उत्तर देकर वह सवार बिदा कर...४०८ B (१,५६९ शब्द) - ०१:१०, ९ मार्च २०२१
- दर्शन के क्षेत्र में क्रान्ति का शंखनाद करने वाले योगेश्वर कृष्ण ही थे। परवर्ती काल में कृष्ण के उदात्त तथा महनीय आर्योचित चरित्र को समझने में चाहे लोगो...४३६ B (१२,९४७ शब्द) - १९:५०, १ नवम्बर २०२०
- सिंह, बा० गुरुदास मित्र, बा० हरिश्चद्र, राय नारायणदास, बा० विश्वेश्वर दास, डा० लाज़रस, मुं० बेणीलाल और दीवान कृष्ण कुँअर।' ( कवि-वचन-सुधा भाद्रपद शु० १५...५२० B (१,४३० शब्द) - १७:२५, १८ जुलाई २०२२
- कथावाचक अंक तीसरा पहला दृश्य (स्थान द्वारिकापुरी) [रूक्मिणी और कृष्ण का प्रवेश] रूक्षेम० नाथ, कितनी बार मैंने आप से कहा, परन्तु आप यानही नहीं...२१५ B (४,६५० शब्द) - १९:२४, १९ जनवरी २०२४
- विवाह नहीं करना है। कृष्ण-—आपको विवाह करना होगा। यहाँ आकर आप ऐसे नहीं लौट सकते। मदन--आपको जो करना हो कीजिये। हम विवाह नहीं करेगे। कृष्ण-—कोई कारण? मदन-—कारण...२०६ B (५,१६८ शब्द) - ०८:१२, २७ जुलाई २०२३
- होती है । बोलो रामलला की-- सब--जय। माधो०--भेखजी की-- सब--जय। माधो०--सब संतन की- सब--जय। माधो०--अखाड़े की- सब०.--जय। कृष्ण--(स्वगत) निश्चित होगया। वैष्णवो...३१० B (८,०३२ शब्द) - १९:२१, १९ जनवरी २०२४
- उपकार न माना। मै तें तोर मोर असमझिमों, कैसे करि निस्तारा। कह रैदास कृष्ण करुणा मय, जय जय जगत अधारा । २-फल कारन फूलै( १८६ ) लोग भी उस स्थान पर पहुँचे जिस...७६२ B (१,९८४ शब्द) - ०२:५६, २ जुलाई २०२१
- रक्षा के लिए राम और कृष्ण का आश्रय लिया; और उनकी भक्ति का स्रोत देश के एक कोने से दूसरे कोने तक फैल गया। जिस प्रकार वंग देश में कृष्ण चैतन्य ने उसी प्रकार...४१७ B (१८,९०८ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
- तो दैहैं ल्याय॥ ऐसे घर में से बिचारकर, सांदीपन ऋषि स्त्री सहित बाहर जय श्री कृष्ण बलदेवजी के सनमुख कर जोड़ दीनता कर बोले―महाराज, मेरे एक पुत्र था, तिसे...४१३ B (२,७८६ शब्द) - १५:५५, ४ दिसम्बर २०२१
- (1962) प्रेमचंद, संपादक अमृत राय 125759गुप्त धन1962प्रेमचंद गुप्त धन १ प्रेमचंद गुप्त धन १ प्रस्तुतकर्ता - अमृत राय हंस प्रकाशन इ ला हा बा...२९२ B (९७६ शब्द) - ०९:०१, २० जुलाई २०२३
- विवाह नहीं करना है। कृष्ण-—आपको विवाह करना होगा। यहाँ आकर आप ऐसे नहीं लौट सकते। मदन--आपको जो करना हो कीजिये। हम विवाह नहीं करेगे। कृष्ण-—कोई कारण? मदन-—कारण...२०६ B (८,६४२ शब्द) - ०८:१३, २७ जुलाई २०२३
- तारीफें की गईं। वैशाख कृष्णा तेरस थी। कृष्णा का आज ही विवाह था। घर में धूम थी। बरात आ गई थी। ज्यों-ज्यों दिन ढल रहा था कृष्णा का उद्वेग बढ़ता जाता था।...३४७ B (४,४११ शब्द) - १६:२५, ११ अप्रैल २०२२
- अमृत राय 121222गुप्त-धन1962प्रेमचंद प्रेमचंद गुप्त धन २ प्रस्तुतकर्ता-अमृत राय हंस...२९९ B (९७५ शब्द) - १३:३८, २३ जुलाई २०२३
- अपेक्षा उसे कृष्ण के प्रेम से अधिक शांति मिलती थी। उसने अब तक गीता ही के कृष्ण को देखा था, और मसीह की दयालुता, सेवाशीलता और पवित्रता के आगे उसे कृष्ण का रहस्यमय...२१२ B (४,०३८ शब्द) - १९:२५, ३१ जुलाई २०२३
- सीताराम अयोध्या का इतिहास अयोध्या का इतिहास साहित्यरत्न, हिन्दी सुधाकर, राय बहादुर श्री अवधवासी लाला सीताराम, बी० ए०, संकलित। प्रयाग हिन्दुस्तानी एकेडेमी...४४१ B (१,१४६ शब्द) - ०१:४१, १० अक्टूबर २०२३
- भी। विद्यापति के पद अधिकतर शृंगार के ही हैं, जिनमें नायिका और नायक राधा-कृष्ण हैं। इन पदों की रचना जयदेव के गीतकाव्य के अनुकरण पर ही शायद की गई हो। इनका...६६२ B (१,९१४ शब्द) - ००:२३, २० मई २०२४
- लोगो ने इनके उमङ्ग का अच्छा अवसर उपस्थित देख इन्हें राय रत्नचन्द बहादुर से लडा दिया। परन्तु ज्यो ही इन्हो ने धूर्तों को धूतता समक्षी, चट पितृव्य के पावो...४८९ B (४,७२८ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
- 'हुज्जते बंगाला' प्रसिद्ध है, इससे बंगाली सभ्य खूब गोलमाल मचाने की पहिले राय देते हैं पर यह कितना उपहासास्पद है यह उसी सभ्य के दूसरे उपाय से ज्ञात हो...५१७ B (१,८६८ शब्द) - १५:५०, १७ जुलाई २०२२