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  • उत्साह बढ़ता है और अच्छे अच्छे ग्रन्थ उनकी कलम से निकलते है। सुशिक्षित देशों में ग्रन्थ लिखने का एक व्यवसाय ही हो गया है। इस व्यवसाय के लोग बड़े आदर की...
    ५५० B (३,२२८ शब्द) - ०३:४०, २९ अगस्त २०२१
  • सारांश इसमें है और इसके पढ़ने-पढ़ाने में सभी जाति अधिकारी हैं । (१) शिक्षा, (२) कल्प, (३)व्याकरण, (४) निरुक्त, (५) छन्दोविचिति, (६) ज्योतिष, ये छः वेदांग...
    ४६१ B (१,४५९ शब्द) - ०९:११, ८ मई २०२१
  • तह में सहन करने की अक्षमता और अपनी शक्ति का अविश्वास छिपा रहता है। भीरु व्यापारी में अर्थहानि सहने की अक्षमता और अपने व्यवसाय-कौशल पर अविश्वास तथा भीरु...
    ३३१ B (२,२५८ शब्द) - १६:३५, १७ अगस्त २०२१
  • किसी व्यवसाय में लग जाऊँ और खूब धन कमाकर लक्ष्मी का लाल कहलाऊँ। परंतु उनकी यह कामना पूरी न हो सकी। न तो मेरी शिक्षा उनके जीवन काल में समाप्त हो सकी और न...
    ४३९ B (४,३४३ शब्द) - ०४:३२, १३ अक्टूबर २०२१
  • विद्य- मान न हों। साहित्य के, न्याय के, ज्योतिष के, वेद के, वेदांत के, वैद्दक के, दर्शनों के, मीमांसा के, सांख्य के और सब ही शास्त्रों के उत्कृष्ट विद्वान्...
    ५२९ B (१,९१२ शब्द) - २२:४८, ५ अक्टूबर २०२०
  • जरूरत पड़ती थी। इससे ज्योतिष-शास्त्र का उदय हुआ। ग्रीक तथा अन्य विदेशी जातियों के सम्पर्क से उन्हें इस शास्त्र के अध्ययन में और भी सहायता मिली। धीरे-धीरे...
    ५६० B (४,५९२ शब्द) - ०२:१४, २९ अगस्त २०२१
  • हुई झूठी कहानियां हैं, धर्मशास्त्र में ब्राह्मणों का पक्षपात भरा हुआ है, ज्योतिष तथा मन्त्र-शास्त्रादि ठगविद्या हैं । ऐसी २ बे सिर-पैर की सत्यानाशी रागिनी...
    ८०६ B (२,६४५ शब्द) - ०७:४६, ११ जनवरी २०२०
  • खा डालें, और क्या कर सकते हैं। और यही हो रहा है। जिस गाढ़ी कमाई को देशी व्यवसाय और धंधे में खर्च होना चाहिए था, वह यूरोप चली जा रही है और हम उन आदतों...
    २९१ B (३,३९१ शब्द) - ००:४६, ४ अगस्त २०२३
  • बनारस रेशमी और ज़री के कपड़े के काम में अपना सानी नहीं रखता था। पर विलायती व्यवसायियों ने इस रोजगार को बरबाद कर दिया। अब भी बनारस में इसका व्यवसाय होता है।...
    ३७४ B (५,५५५ शब्द) - १३:४०, ३ मई २०२१
  • शरीर॥ इन सब तिथियों की गणना ज्योतिष के अनुसार की गई और सब ठीक उतरीं। पंडित रामचंद्र शुक्ल इस ग्रंथ एक भारी जाल मानते हैं और उनका अनुमान है कि यह जाल अयोध्या...
    ६१४ B (५,२१५ शब्द) - ०४:३०, १३ अक्टूबर २०२१
  • अनंत-रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय चलता रहता है उसका नाम है जगत्। जब तक कोई अपनी पृथक् सत्ता की भावना को ऊपर किए इस क्षेत्र के नाना रूपों और व्यापारों को अपने...
    ३४७ B (५,०१५ शब्द) - २०:४६, २५ जुलाई २०२३
  • अनन्त-रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय चलता रहता है उसका नाम है जगत्। जब तक कोई अपनी पृथक् सत्ता की भावना को ऊपर किए इस क्षेत्र से नाना रूपों और व्यापारो को अपने योग-क्षेम...
    ४१७ B (१३,४९३ शब्द) - १६:३४, १७ अगस्त २०२१
  • उच्च कर्मचारी रहते हैं। बैरिस्टर, वकील और डॉक्टर-जैसे स्वतंत्र व्यवसायी अपने सुखी परिवार को लेकर नगर से बाहर और अधिकारियों के समीप रहना अधिक पसंद करते...
    २४४ B (५,५०२ शब्द) - १७:२५, ७ मई २०२१
  • विशेष कर ज्योतिषियों में, रह गया है. २ -कलियुग संवत् कलियुग संवत् का भारतयुद्ध संवत् और युधिष्ठिर संवत् भी कहते हैं. हम संवत् का विशेष उपयांग ज्योतिष के ग्रंथों...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • सकता हूँ, न बाणिज्य ही कर सकता हूँ, न भीख मॉग सकता हूँ, और न मै निकम्मा कुछ कारीगरी या व्यवसाय ही जानता हूँ। अतः तुलसीदासजी कहते हैं कि मेरी प्रतिष्ठा...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१