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  • रक्षा बंधन  (1959)  द्वारा विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' 121054रक्षा बंधन1959विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' [ ४९ ] कथा ( १ ) प्रातःकाल के छः बज रहे थे। इसी समय...
    ३६५ B (१,७६३ शब्द) - २३:०२, २ अगस्त २०२०
  • रक्षा बंधन  (1959)  द्वारा विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' 121053रक्षा बंधन1959विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' [ ४० ] आविष्कार ( १ ) प्रोफेसर चन्द्रायण विज्ञान के प्राचार्य...
    २८८ B (२,०४२ शब्द) - २३:००, २ अगस्त २०२०
  • रक्षा बंधन  (1959)  द्वारा विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' 121078रक्षा बंधन1959विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' [ १०० ] वशीकरण ( १ ) नत्थू चाचा ब्राह्मण हैं। वयस पैंतालीस...
    ३९३ B (२,१४७ शब्द) - २३:१२, २ अगस्त २०२०
  • से सब बंधन छूट जाते हैं। यह तो है सो है ही किंतु एक बात का यहाँ अपूर्व आनंद है, वैसा आनंद कहीं दुनिया भर में न होगा। जरा देखिए तो सही! गंगा तट की ओर निहारकर...
    ४८१ B (२,४८८ शब्द) - ०८:२९, ५ अक्टूबर २०२०
  • प्रवेश) चाणक्य—वत्स, तुम बहुत थक गए होंगे। चन्द्रगुप्त—आर्य्य! नसों ने अपने बंधन ढीले कर दिये हैं, शरीर अवसन्न हो रहा है, प्यास भी लगी है। चाणक्य—और कुछ दूर...
    ४६६ B (५४४ शब्द) - ०३:४९, ४ सितम्बर २०२१
  • को बरी करता हूं।' बावन चैत्र की शीतल, सुहावनी, स्फूर्तिमयी संध्या, गंगा का तट, टेसुओं से लहलहाता हुआ ढाक का मैदान, बरगद का छायादार वृक्ष, उसके नीचे बंधी...
    २७३ B (२,५२३ शब्द) - २०:४१, २९ जुलाई २०२३
  • [ ११७ ] कुछ शून्य बिंदु उर के ऊपर , व्यथिता रजनी के श्रमसीकर , झलके कब से पर पड़े न झर , गंभीर मलिन छाया भू पर , सरिता तट तरु का क्षितिज प्रांत , केवल...
    २३४ B (१,८४६ शब्द) - १३:१५, १५ अक्टूबर २०१९
  • प्रातः काल उठकर हम लोगों ने भ्रमण के लिए जाकर स्नान किया और स्वामीजी के दर्शन के लिए चल दिये। भगवती भागीरथी के पवित्र तट पर कई मील चल कर एक छोटा-सा मैदान...
    ४१४ B (२,६१४ शब्द) - ०८:१०, ६ अगस्त २०२०
  • टकराने लगे। पहले बंदी ने अपने को स्वतंत्र कर लिया। दूसरे का बंधन खोलने का प्रयत्न करने लगा। लहरों के धक्के एक दूसरे को स्पर्श से पुलकित कर रहे थे। मुक्ति की...
    ३३४ B (३,०२७ शब्द) - १८:५६, १९ जुलाई २०२०
  • कर तट की ओर बढ़ा, परन्तु उस की सूंड़ के आघातों से पीड़ित किया गया नदी का प्रवाह, उसके पहुंचने के पहले ही, तट तक पहुँच गया। बढ़ी हुई लहरों ने पहले तट पर...
    ४२३ B (६,२८० शब्द) - ०६:२६, १८ सितम्बर २०२१
  • है और उसके बाहर मुक्ति है; जाल के भीतर दासत्व ही बंधन है। उसके बाहर बंधन नहीं। जहाँ तक विश्व से संबंध है, सत्ता बंधन के अधिकार में है, वा बद्ध है; उससे...
    ७०० B (४,८४४ शब्द) - ०२:३५, ११ अगस्त २०२१
  • अहित-चिता कर कई बार शहाबुद्दीन को पृथ्वीराज के बंधन से और अंत में पृथ्वीराज की वैसी ही दशा में सहायता न कर, शहाबुद्दीन के हाथ उसका शिरच्छेद होने दिया, और इस प्रकार...
    ६६४ B (३,८२७ शब्द) - १३:१३, १८ मार्च २०२१
  • झा [ २१५ ] क्रूसो का द्वीप से उद्धार मैं समुद्र तट पर दो बजे रात तक बैठा रहा। आशा और सन्देह के हिंडोले पर चढ़ कर मन कभी ऊपर और कभी नीचे का झोंका खा...
    ६८७ B (१,५६४ शब्द) - ००:०७, २० नवम्बर २०२१
  • [ ९५ ]   ११ सिन्धु-तट पर दाण्ड्यायन का आश्रम ⁠दाण्ड्यायन—पवन एक क्षण विश्राम नहीं लेता, सिन्धु की जलधारा बही जा रही है, बादलों के नीचे पक्षियों का झुण्ड...
    ४७७ B (९११ शब्द) - ०३:५६, ४ सितम्बर २०२१
  • श्री-कलित घनश्याम । नदी-तट के क्षितिज में नव-जलद सायंकाल- खेलता-दो बिजलियों से ज्यों मधुरिमा-जाल । लड़ रहे अविरत युगल थे चेतना के पाश ; एक सकता था न कोई...
    २०८ B (१,६४८ शब्द) - ००:५६, २२ अक्टूबर २०१९
  • लगे। पहले बन्दी ने अपने को स्वतन्त्र कर लिया। दूसरे का बन्धन खोलने का प्रयत्न करने लगा। लहरों के धक्के एकदूसरे को स्पर्श से पुलकित कर रहे थे। मुक्ति की...
    ५४७ B (२,९८७ शब्द) - ०७:१३, ११ मई २०२१
  • एक घूँट (श्रेणी 1930 के कार्य)
    क्या अर्थ है......बन्धनों को खोल देना, एक विशृङ्खलता फैलाना परन्तु मेरे हृदय की पुकार क्या कर रही है। आकर्षण किसी को बाहुपाश में जकड़ने के लिये प्रेरित कर...
    २७२ B (७,२३९ शब्द) - ०८:०२, १९ जुलाई २०२०
  • इस प्रकार,पूर्व के कितने ही देशों को दबाता हुआ वह विजयी राजा, ताड़-वृक्षों के वनों की अधिकता के कारण श्यामल देख पड़नेवाले महासागर के तट तक जा पहुँचा ।...
    ५८९ B (५,५७० शब्द) - ०५:२६, १८ सितम्बर २०२१
  • जब तक जमीन का किनारा नज़र आता रहा, वह जहाज़ के डेक पर खड़ा अनुरक्त नेत्रों से उसे देखता रहा। जब वह भूमि-तट जल में विलीन हो गया, तो उसने एक ठंडी साँस ली...
    ६०३ B (२,८९९ शब्द) - ०८:३८, १० मार्च २०२०
  • खेतों की हरियाली में उसके हृदय की हरियाली मिल जाती। वाट्सन के साथ सायंकाल में गंगा के तट पर वह घंटों चुपचाप बिता देती। वाट्सन का हृदय तब भी बांध से घिरी...
    २२९ B (३,५१२ शब्द) - १९:१६, ७ मई २०२१
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