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  • छिपाना पड़ सकता है। अिसलिअे सुनहला कानून तो यही है कि जिसे हम सही समझे, अुसे निडर होकर करे। दम्भ और झूठ तो जगतमे चलता ही रहेगा। हमारे सही चीज करनेसे वह कुछ...
    २५८ B (२२९ शब्द) - २१:५३, ३१ जुलाई २०२३
  • महान् प्रयोग व अनुभवोंकी कथा और लिख डालें। मुझे विश्वास है कि सत्यके इस निडर उपासकके अगले अनुभव अधिक दिव्य व अद्भुत होंगे और उनसे संसारको एक नई रोशनी...
    ५४६ B (९०७ शब्द) - २२:५१, १ अक्टूबर २०२०
  • इन्द्रकोप ब्रज बह्यो जात हो, गिरि धरि सकल उबारो॥ रामकृस्न बल बदति न काहू, निडर चरावत चारो। सगरे बिगरे को सिर ऊपर बल को बीर रखबारो॥ तब तें हम न भरोसो पायो...
    ६७९ B (६५ शब्द) - २२:५६, १८ सितम्बर २०२०
  • छिपाना पड़ सकता है। अिसलिअे सुनहला कानून तो यही है कि जिसे हम सही समझे, अुसे निडर होकर करे। दम्भ और झूठ तो जगतमे चलता ही रहेगा। हमारे सही चीज करनेसे वह कुछ...
    २६१ B (४८१ शब्द) - २१:५३, ३१ जुलाई २०२३
  • पापकर्मों से भय जिस अनीतिमय रीत को, पाप कहें जनवृन्द। सज्जन उससे दूर ही, रहें निडर खलवृन्द॥१॥ 'बढ़ै पाप से पाप ही' यह उक्ति ध्रुवसत्य। पाप बड़ा है आग से, भीत...
    ४१७ B (४१६ शब्द) - १०:३७, २ सितम्बर २०२१
  • पत्तोंका दोना बनाकर पात्रसे जल पी सकते हो। व्याघ्रचर्म बिछा हुआ है, सो सकते हो। निडर होकर रहो यहाँ शेर आदिका डर नहीं। फिर दूसरे समय मुझसे मुलाकात होगी। जबतक मुलाकात...
    २४९ B (७८८ शब्द) - २३:२६, २१ अप्रैल २०२०
  • उठि ऐहै सागर लांघत इति॥ को हम हित अपने भाइन की सकुच न करिहै। निहचल निहछल निडर नीति पथ को पग धरिहै।। यों तो हमरे हितू बनहिं बहुधा बहुतेरे। पै निज पापी पेट...
    ९८२ B (६३१ शब्द) - ०७:५७, ११ जनवरी २०२०
  • रति मानी॥ [ ६९ ] शब्दार्थ—रसकेलि मैं—क्रीड़ा के समय। परजङ्क—पलंग। निसंक—निडर। अंक—गोदी। महासुखसानी—बड़े आनन्द से। दुहूँ—दोनों ने। दुरिके—छिपकर। उदाहरण...
    ३४१ B (७२२ शब्द) - ०४:३०, २२ सितम्बर २०२२
  • जानि जात हैं घूँघट मैं न खगे॥ कितनो करौ दुराव, दुरत नहीं जब ये प्रेम-पगे। निडर भए उघरे से डोलत मोहनरंग रँगे॥ [ ३०७ ]चंद्रा०---वाह सखी क्यों न हो, तेरी क्या...
    ५४२ B (१,६६९ शब्द) - १७:४०, २० जुलाई २०२२
  • चुके उनका भी हिन्दी अनुवाद पुस्तक-प्रकाशक मंडलियाँ, कम्पनियाँ और परिपदें अब निडर होकर कर सकती है। इस सम्बन्ध में एक बात हमें कहना है। यदि कोई किसी की पुस्तक...
    ४६५ B (१,३४४ शब्द) - ०३:३३, २९ अगस्त २०२१
  • भांति लौट गये परन्तु शाइस्ता खां ऐसा डरा कि पूना छोड़ कर चला गया। अब शिवाजी निडर जहां चाहता था जाता था और देश जीत कर अपना राज बढ़ाता रहा। ७—इसके पीछे कुछ...
    ६०६ B (१,२५९ शब्द) - १३:३६, १६ सितम्बर २०२०
  • प्लेगळे रोगी की सेवा करने का अवसर मुझे कभी न मिला था । डाक्टरोंकी हिम्मने में निडर बना दिया था ! यकी शुश्रूषाका काम बहुत न था। उन्हें दवा देना, दिलास’ देना...
    ३६५ B (१,०२१ शब्द) - ०४:१२, ४ अगस्त २०२३
  • लिखा उससे पाठक समझ गये होंगे कि श्रीयुत इच्छाराम सूर्यराम देसाई बड़े ही निडर, साहसी, दृढ़प्रतिज्ञ, स्पष्टवक्ता, परिश्रमी, सदाचारी, उदार, विद्वान् तथा...
    ५७१ B (१,०७८ शब्द) - १३:०१, १० मई २०२१
  • हुआ फिर रहा हूं। पर वह नाम और वह सूरत सदा मेरे साथ है। मैं डरता हूं, वह निडर है; मैं रोता हूं, वह हंसता है; मैं मर जाऊंगा, वह अमर है। मेरी-उसकी कभी की...
    ३९९ B (१,४९३ शब्द) - १६:२३, ११ अप्रैल २०२२
  • नहीं खोलना चाहते। अपनी सीमा का अनुमान उन्हें हो गया है। मगर वह क्यों उससे निडर होकर नहीं कह देते कि तू मेरे काम की नहीं है, मैं तुझे त्यागता हूँ। पंचायत...
    ३५३ B (२,४०२ शब्द) - ०९:५६, २१ मई २०२१
  • उन्होने तट पर टहलते समय एक अँगरेज को गंगाजी में डूबते देखा । तब उन्होंने निडर होकर झटपट कपड़े उतार डाले और गंगाजी में कूद दो ही गोते में उसे निकाल लिया...
    ३८३ B (१,८३१ शब्द) - ०२:५८, २१ नवम्बर २०२१
  • था। बुराई यह थी कि वे सर्वथा निर्लोभ और निःस्वार्थ थे। भलाईने मातहतोंको निडर और आलसी बना दिया था, बुराई के कारण उस विभागके सभी अधिकारी उनकी जानके दुश्मन...
    ३१२ B (१,९८९ शब्द) - २०:५४, २५ अप्रैल २०२२
  • करता रहा। निदान कालबस हो अति क्रोध कर सिहासन से उतर सभा के बीच निःसंकोच निडर हो बोला कि इस सभा मे धृतराष्ट्र, दुर्योधन, भीषम, कर्न, द्रोनाचार्य आदि सच...
    ४४१ B (१,४९० शब्द) - ०८:४०, ५ दिसम्बर २०२१
  • सरदार के जरासा इशारा पातेही वे मेरी खोपड़ी उड़ादें। अस्तु, परन्तु मैं बिलकुल निडर हो, तन कर वीरपुरुष की भांति सरदार के सामने खड़ा हुआ। उस समय दरबार में इतना...
    ३६८ B (२,५९० शब्द) - १७:१२, ३१ जुलाई २०२३
  • है, उससे अधिक थी। उन्होंने अपने जीवनमेंसे छुआछूतकी जड़ खोद डाली थी और वह निडर होकर अंत्यजोंसे मिलती तथा उनकी सेवा करती थीं। उनके पास रुपया-पैसा था; लेकिन...
    ३२४ B (१,३०८ शब्द) - ०४:१२, ४ अगस्त २०२३
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