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कहीं आपका मतलब परिवर्तन समाज पार्टनर तो नहीं था?
  • हैं।" इसीलिए १८४८ में मार्क्स ने "किसान क्रान्ति" पोलिश पार्टी का समर्थन किया था, “जिस पार्टी ने १८४६ में कैको विद्रोह का सूत्रपात किया था।" १८४८-१८४६...
    ६३८ B (२,००७ शब्द) - १२:२१, १६ सितम्बर २०२१
  • कार्रवाइयों से सामाजिक- जनवादी पार्टी किसी प्रकार निरुत्साहित नहीं हुई। उसने गुप्त क्रियाकलापों का सहारा लिया। पार्टी का केंद्रीय मुखपत्र 'सोसिअल-देमोक्रात'...
    ४६८ B (२,६३१ शब्द) - १२:१९, १६ सितम्बर २०२१
  • विशेष भाग लिया, और उसी के अनुरोध पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध 'कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र' तैयार किया, जो फ़रवरी १८४८ में प्रकाशित हुआ। इस रचना में प्रतिभाशाली...
    ५९७ B (१,६९६ शब्द) - १२:२४, १६ सितम्बर २०२१
  • ने इसकी सीख दक्षिण अफ्रीका में। अपने अनुयायियों को और भारत में, कांग्रेस पार्टी में दी। उन्होंने नैतिकता, आचार एवं चरित्र पर ध्यान केंद्रित करने की सीख...
    ६०६ B (१,६२४ शब्द) - १५:२४, २८ जुलाई २०२३
  • कर लिये और हमारी इस पंडित पार्टों ने श्री जगदीश-माहात्मय भी चित्त की एकाग्रता के साथ सुना । माहात्म्य श्रवण करने में इस पार्टी के अतिरिक्त वे दो यात्री...
    ५७५ B (२,०२३ शब्द) - १४:४७, १८ दिसम्बर २०२१
  • क्योंकि उस का कर्तव्य है कि किसी विवाद-ग्रस्त वस्तु को दोनों पार्टियों में से किसी पार्टी को बिना किसी अन्य प्रकार का ख्याल किये, उस के अधिकारी को देदे।...
    २८१ B (१३,२८१ शब्द) - १५:०५, २६ जनवरी २०२१
  • रिहा कर दिये गये। 1924 में लालाजी कांग्रेस के अन्तर्गत ही बनी स्वराज्य पार्टी में शामिल हो गये और केन्द्रीय धारा सभा (सेट्रल असेम्बली) के सदस्य चुन लिए...
    ३२६ B (३,२१९ शब्द) - १९:५३, १ नवम्बर २०२०
  • कार्य सौंप दिया। इस प्रकार मार्क्स और एंगेल्स विरचित सुप्रसिद्ध 'कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र' प्रकट हुआ। यह १८४८ में प्रकाशित हुआ। यह छोटी- सी पुस्तिका...
    ७२४ B (३,७०२ शब्द) - १२:२०, १६ सितम्बर २०२१
  • विद्याज्ञान होता है। उसकी मोटी-मोटी धर्म- संबन्धी बातें कितने ही दिलों में जगह पार्टी और कितनों के लिए कल्याण का साधन बनती हैं। अब अगर इनकी आवश्यकता नहीं समझी...
    ४५० B (६,१९६ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
  • भी पाए थे, ये उस के प्रधान सहायक हुए और बाबू सुरेन्द्रनाथ को एक "ईवनिङ्ग पार्टी" भी दी थी। इसके पीछे ही "नैशनल काङग्रेस" का जन्म हुआ, अत यह आन्दोलन भी उसी...
    ४९० B (६,०६९ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
  • अभिव्यक्ति थी कि मौलिक परिवर्तन, विश्व में कैसे लाया जा सकता है। वे यह लगातार कह रहे थे, उसे पुनः दुहरा रहे थे कि यह परिवर्तन कैसे होने चाहिए। उनके लेखन...
    ३५१ B (३०,२४० शब्द) - १५:२४, २८ जुलाई २०२३
  • जीविका-उपार्जन के लिए उन्हे मज़दूरी करनी पड़ी। सन १९११ में उन्होने कम्यूनिस्ट पार्टी मे प्रवेश किया और उसके बाद क्रान्ति तथा गृह-युद्ध मे उन्होने जो कार्य किया...
    ३३६ B (५,८१४ शब्द) - १४:३०, २३ अगस्त २०२०
  • किंतु ज्ञानशंकर के हृदय की कली यहाँ भी न खिली। राय साहब ने उन्हें यहाँ के समाज से परिचित करा दिया। उन्हें नित्य दावतों और जल्स में अपने साथ ले जाते, अधिकारियों...
    २८६ B (३,९९१ शब्द) - २०:१७, १३ जनवरी २०२४
  • जोहरा ने उसे लुब्ध करने की चेष्टा की थी। फिर अनायास ही उसके व्यवहार में परिवर्तन होने लगा था। वह क्यों बार-बार सजल-नेत्र होकर कहती थी, देखो बाबूजी, मुझे...
    ४०८ B (५,८९७ शब्द) - २०:३७, २९ जुलाई २०२३
  • जोहरा ने उसे लुब्ध करने की चेष्टा की थी फिर अनायास ही उसके व्यवहार में परिवर्तन होने लगा था। वह क्यों बार-बार सजल-नेत्र होकर कहती थी, देखो बाबूजी, मुझे...
    २१९ B (७,१३८ शब्द) - १९:१२, २४ जनवरी २०२०
  • वर्णममाम्नाय होने से उनका 'सीधी कहते है और उन पांच पादों को 'मीधी की पाच पार्टी' कहते है संस्कृत न जानने वालों के द्वारा उनकी नकल तथा पढ़ाई होने होने उम...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • देने का जिक्र करते हुए उसने कहा- अब रमानाथ के जीवन में एक नया परिवर्तन होता है, ऐसा परिवर्तन जो एक विलास-प्रिय, पद-लोलुप युवक को धर्मनिष्ठ और कर्तव्यशील...
    २१४ B (२८,७४६ शब्द) - १७:२४, २६ जुलाई २०२३