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कहीं आपका मतलब सिद्धि जाति पहला तो नहीं था?
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  • दस्यु!—(मानचित्र अपने कंचुक में छिपा लेती है।) यवन—यह गुप्तचर है, मैं इसे पहचानता हूँ। परन्तु सुन्दरी! तुम कौन हो; जो इसकी सहायता कर रही हो, अच्छा हो कि...
    ४५६ B (९१७ शब्द) - ०३:२६, ४ सितम्बर २०२१
  • पड़ती हैं—(१) जिस जाति में उस पद का समावेश होता है वह जाति; और (२) लक्ष्य पद का असाधारण धर्म, अर्थात् लक्ष्य पद के अर्थ को उस जाति की अन्य उपजातियों के...
    ३५६ B (३,१४८ शब्द) - ०८:१२, ७ मई २०२१
  • अलग जाति को अलग अलग पोशाक है जिससे [ १४८ ] उस जाति की पहचान होती है। हम पोशाक देखकर ही यह जान सकते हैं कि अमुक मनुष्य मारवाड़ी है, अमुक मनुष्य सिन्धी है...
    ४१३ B (२,६३० शब्द) - १८:५५, १२ दिसम्बर २०२०
  • साम्राज्य तुच्छ है? कार्ने॰—यदि प्रणय हो। फिलि॰—प्रणय को तो मेरा हृदय पहचानता है। कार्ने॰—(हँसकर)—ओहो! यह तो बड़ी विचित्र बात है! फिलि॰—कुमारी, क्या...
    ४८८ B (१,४७९ शब्द) - ०४:०१, ४ सितम्बर २०२१
  • कह देते हैं, "डांढ़ी लगा दो।" डॉढ़ी बहुत ही सुन्दर मज़बूत काठी की जाति थी। इस जाति के सुडौल, गठीले शरीर मछली (मांसपेशी) गिनने का न्यौता देते थे। आज के...
    ४३७ B (४,३५१ शब्द) - १४:०३, ३० मई २०२१
  • हटते उधर की ओर ! ज्योत्स्ना-निर्भर ! ठहरती ही नहीं यह आँख , तुम्हें कुछ पहचानने की खो गयी-सी साख । कौन करुण रहस्य है तुममें छिपा छविमान ? लता-वीरुध दिया...
    २०८ B (१,६४८ शब्द) - ००:५६, २२ अक्टूबर २०१९
  • थी मर्म वेदना करुणा विकल कहानी-सी, वहां अकेली प्रकृति सुन रही, हंसती-सी पहचानी-सी। 'ओ चिंता की पहली रेखा, अरी विश्व-वन की व्याली, ज्वालामुखी स्फोट के भीषण...
    २०१ B (१,५०५ शब्द) - ०३:४५, २७ जुलाई २०२३
  • और बोलचाल में थली और धरधूधल भी हुआ । थली तो एक बड़ी मोटी पहचान की तरह रहा है । बारीक पहचान में उसके अलग-अलग क्षेत्र अलग-अलग विशिष्ट नाम लिए थे । माड़...
    ५२० B (१,८७६ शब्द) - ०४:२३, २७ अक्टूबर २०१९
  • करता था। और विद्वानों का चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों, बड़ा आदर करता था। उसमे आदमियो की पहचान जबर्दस्त थी और चुनाव की यह खूबी थी कि जो आदमी जिस...
    ५१२ B (५,९३९ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
  • रचनायें मिलती हैं। इनमें से एक पद्य नीचे दिया जाता है:- "भई अब गिरिधर सों पहचान। कपट रूप छलबे आये हो पुरुषोत्तम नहिं जान। छोटो बड़ो कछू नहिं जान्यो छाय...
    ७८२ B (१,६२५ शब्द) - ००:२१, १८ जुलाई २०२१
  • सुन्दरता की मृदु महिमा। उस दिन तो हम जान सके थे सुन्दर किसको हैं कहते ! तब पहचान सके, किसके हित प्राणी यह दुख-सुख सहते। जीवन कहता यौवन से--"कुछ देखा तूने...
    २२७ B (२,०२४ शब्द) - १३:१५, १५ अक्टूबर २०१९
  • उन्होंने कर दिया था। विजयी जाति बहुकाल पर्यन्त अपनी भाषा और स्वातन्त्र्य [ ८० ] गौरव की रक्षा करके अन्त में असभ्य जातियों के निकट उसको विसर्जित कर दे...
    ९४२ B (४,४२४ शब्द) - ०७:३७, २१ जून २०२१
  • निरन्तर द्वन्द्व होता रहता था। मन जाति की ओर था, चुदि अपनी ओर। बुद्धि मन को दबाये रखती थी। इसके सामने मन की एक न चलतो थी। जाति-सेवा ऊसर की खेती है, वह बड़े-से-खड़ा...
    ३०४ B (६,१६३ शब्द) - २१:१७, ३० जुलाई २०२३
  • [ १४९ ]विजया-- अरे मुद्गल! जैसे पहचानता ही न हो। सच है, समय बदलने पर लोगों की आंखें भी बदल जाती हैं। मुद्गल-- तुम कौन हो जी? मुझे बेजान-पहचान की छेड़छाड़ अच्छी नहीं...
    २०० B (४,५१० शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
  • [ ६९ ]सिद्धहस्त कीणियां वहाँ खुदाई प्रारंभ करते हैं। कीणियां कोई अलग जात नहीं, किसी भी जाति में इस काम में निपुण लोग कीणियाँ बन जाते हैं। पर मेघवाल, ओड और भील...
    ५८७ B (३,५२३ शब्द) - ०४:१४, २७ अक्टूबर २०१९
  • आँखों को बन्द कर लिया। नूरी की धड़कन और बढ़ गयी। उसने साहस से पूछा 'मैं पहचान गयी!' 'जहाँपनाह' उसके मुँह से निकला ही था कि अकबर ने उसका मुँह बन्द कर लिया...
    ५२५ B (३,२८४ शब्द) - ०८:१०, ११ मई २०२१
  • नाना गति लेत हैं॥ अर्थ―आसमान को देखकर और भारी किलकारी सुनकर हनुमान् को पहचानकर (सब कपि) सचेत और आनन्दित हो गये। मानो डूबते हुए जहाज का समाज [ ७९ ] बच...
    ३५९ B (५,१८४ शब्द) - ०८:३९, ५ अगस्त २०२१
  • को भी मरने से बचाया था। वही, वही, देव-प्रतिमा महादेवी देवकी। भटार्क-- (पहचानकर) कौन? मेरी माँ! कमला-- तू कह सकता है। परन्तु मुझे तुझको पुत्र कहने में...
    २८२ B (४,७५४ शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
  • जाति है॥ शब्दार्थ—मन्दहास—मृदुहास। इन्दीबर—नीला कमल। बिद्रुम—मूंगा। मोतिन—मोती। पांति—पंक्ति। छाती न सिराति है—हृदय को शान्ति नहीं मिलती। कैसे...जाति...
    २५८ B (४,१२३ शब्द) - ०४:३७, २२ सितम्बर २०२२
  • डाक्टर साहेब सदैव ही योगिराज के साथ घूमते थे। योगिराज को देखते ही मैं तुरन्त पहचान गया। वह महाविद्यालय ज्वालापुर का एक चलता पुर्जा विद्यार्थी था, परन्तु मैंने...
    ४२८ B (४,८७५ शब्द) - ०८:४६, ३ मई २०२१
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