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  • हैं। आपके बाद इस देश पर बौद्घममुरम्। पारदशियका अधिकार हो जाने से नहीं फिर वैदिक-धर्म (१) ५ भात, दिनीय तह, १• १५० और 2 m A B 1800 से २५ [ २५१ ]________________...
    ३९५ B (४१,५६३ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३
  • मालूम होती हैं। इस ग्रन्थ में हनोवर के संबन्ध में लिखा गया है कि वहाँ विवाह के पूर्व पारस्परिक सहवास का नियम है। कम से कम विवाह के पूर्व एक दूसरे की परीक्षा...
    ५३५ B (१३,०४४ शब्द) - ०४:५६, २३ नवम्बर २०२०
  • मर्यादा ( पत्रिका } १२६ . मल्लिका देवी या बैंगसरोजिनी ५०० मंगलघट ६१३ महात्मा ईसा ५५६ ,, मंगलप्रभात ५४२ महादे-गोरख-संवाद १८ पडोवर का वर्णन ४१३ महाभारत ४४६ :...
    ३९६ B (३,२९१ शब्द) - १७:३५, २७ जुलाई २०२३
  • वे विनत हो जाते हैं इस बात को उनके विनय के पद्यों की पंक्ति पंक्ति बड़ी ही सरसता से अभिव्यंजित करती पाई जाती है। उद्धृत [ २५१ ]( २५१ ) पद्मों में से संख्या...
    ७९२ B (५,९२३ शब्द) - १९:०६, १० जुलाई २०२१
  • वि सं. ५७ ) में होना मान कर इस मंघन के गत वर्ष स्थिर किये परंतु अब बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ईसा का जन्म ई स पूर्व ८ से ४ के बीच हुआ था न कि ई...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • सीमाओ के भीतर ही हम लोगो का समस्त जगत् अवस्थित है एवं हम लोगो [ २५१ ]का ईश्वर हमारे इस क्षुद्र जगत् की समस्या का मीमांसा मात्र है। किन्तु वह कभी भी पूर्ण...
    ६२३ B (९,२०६ शब्द) - ०७:४७, २५ मार्च २०२३
  • [तत्परता के साथ] हाँ, साहब, लेकिन आप समझ नहीं सकते कि जेल क्या चीज है। [ २५१ ] [अपनी छाती को पकड़कर] बस, यहाँ उसकी चोट पड़ती है। कोकसन [जेम्स के कान में]...
    २२० B (५,७९१ शब्द) - ०२:२९, २५ अगस्त २०२१
  • विन्ध्याचल के नीचे, उसकी तराई में, [ ३१२ ] २५१ सोलहवाँ सर्ग। पहुँच गया। वहाँ उसके कई भाग कर दिये गये। प्रत्येक भाग को इस बात का पता लगाने की आज्ञा हुई कि रास्ता...
    ५०९ B (५,६३७ शब्द) - ०६:२१, १८ सितम्बर २०२१
  • भक्त यैव दुष्यन्ति महानुभावाः आपके आतिथ्य के लिए किया गया प्रबन्ध यदि आप [ २५१ ] को कुछ भी सन्तोषजनक और कुछ भी सुभीते का हो तो उसका श्रेय स्वागत-समिति के...
    ५१० B (१५,८०५ शब्द) - ०५:३६, १५ सितम्बर २०२१
  • मौका ही नहीं मिला। मैंने जब होश संभाला तो पूर्व ही ज़्यादा समझा। उसी में पला बढ़ा। मुझे यह नहीं मालूम कि यह पूर्व कहलाता था और वह पाश्चात्य है। वह खिड़की...
    ६०६ B (२२,६४५ शब्द) - १६:५०, २० नवम्बर २०२०
  • तब मैने नागरीप्रचारिणी समा से उसके छापने का भार लेने के लिये प्रार्थना [ २५१ ]की । सभा ने इसे स्वीकार किया। आनद का विषय है कि कोई दो- ढाई वर्ष तक खटाई...
    ३९२ B (१०,६७२ शब्द) - ०४:२८, १३ अक्टूबर २०२१
  • वाणके जीवन के चार आश्रम नियतं किये हैं। ब्राह्मणोंके घर में जो, बालक जन्म [ २५१ ]मंवत १६०३। a n ...AAA- - - - - - - - arrrrrrrrr. n-crmon लेता है उसको सात...
    १२८ B (७४,४४७ शब्द) - १७:३०, १३ फ़रवरी २०२१
  • रूपी दूब मेरी देह रूपी भूमि में सब जगह विद्यमान है। पाठान्तर-सब [ १७२ ] [२५१] जागैं जोगी जंगम, जती जमाती ध्यान धरैं, ⁠⁠डरैं उर भारी लोभ मोह कोह काम के।...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१