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अप्रैल की निर्वाचित पुस्तक
निर्वाचित पुस्तक

सप्ताह की पुस्तक
सप्ताह की पुस्तक

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रक्षा बंधन विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' द्वारा रचित कहानी संग्रह है। इसका प्रकाशन आगरा के विनोद पुस्तक मन्दिर द्वारा १९५९ ई. में किया गया था।


"कुछ लोग भक्ति में विभोर होकर कीर्तन करते हैं और कुछ लोगों ने इसे संध्या की बैठकबाजी तथा मनोरंजन का साधन बना रक्खा है। अधिक संख्या ऐसों की ही है। परन्तु यह तो मानना ही पड़ेगा कि, धार्मिक दृष्टि से, यह मनोरंजनों की अपेक्षा उत्कृष्ट है। रायसाहब कन्हैयालाल भी ऐसे लोगों में थे जिन्होंने कीर्तन को अपना मनोरंजन बना रक्खा है। उनके घर में कृष्ण मन्दिर था। कृष्ण-मन्दिर में ही कीर्त्तन होता था। रायसाहब के कुछ परिचित तथा कुछ वेतन-भोगी लोग सन्ध्या को ७ बजे आ जाते थे और नौ बजे तक कीर्तन करते थे। चलते समय उन्हें एक एक दोना प्रसाद मिलता था। कुछ लोक तो केवल प्रसाद के लालच से ही आकर सम्मिलित हो जाते थे। मनोरंजन का मनोरंजन और प्रसाद घाते में। कभी-कभी पास-पड़ौस की कुछ महिलायें भी आ जाती थीं। जिस दिन महिलाओं का सहयोग प्राप्त हो जाता था उस दिन कीर्तन करने वाले अपना पूरा जोर लगा देते थे। कुछ लोगों के लिए महिलाओं की उपस्थिति स्फूर्ति-दायक होती है।..."पूरा पढ़ें)


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पूर्ण पुस्तक
पूर्ण पुस्तकें

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भारतवर्ष का इतिहास ई॰ मार्सडेन और लाला सीताराम द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें भारत का भौगोलिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास का संक्षिप्त वर्णन है। इसका प्रकाशन "मैकमिलन एण्ड कम्पनी लिमिटेड", (कलकत्ता, बम्बई, मद्रास, लण्डन) द्वारा १९१९ ई॰ में किया गया।

"भारतवर्ष एक बहुत बड़ा देश है। यह एशिया के दक्षिण त्रिभुज के आकार समुद्र में घुसा हुआ है। इसकी उत्तर की भुजापर बड़े ऊंचे पहाड़ों की श्रेणी हिमालय के नाम से प्रसिद्ध है और इसके पूर्व और पश्चिम समुद्र लहरें मारता है।
हिमालय दो शब्दों से बना है, हिम बरफ़ और आलय घर, बरफ़ का घर। यह पृथ्वी भर में सब से ऊंचा पहाड़ है और इस देश को एशिया के और देशों से अलग करने को एक बड़ी भीत सा उठा हुआ है। हिमालय की चोटियां सदा बरफ़ से ढकी रहती हैं। ठंढक भी ऊपर ऐसी है कि वहां न जीव जन्तु रह सकते हैं न पेड़ उग सकते हैं।" ...(पूरा पढ़ें)


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सहकार्य

इस माह शोधित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
  1. Kabir Granthavali.pdf ‎[९२१ पृष्ठ]
  2. जायसी ग्रंथावली.djvu ‎[४९८ पृष्ठ]
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रचनाकार
रचनाकार

अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल 1865 — 16 मार्च 1947) हिंदी भाषा के कवि, निबंधकार तथा संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. प्रियप्रवास (1914), खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य जो कृष्ण के गोकुल से मथुरा प्रवास की घटना पर आधारित
  2. चोखे चौपदे (1924), हरिऔध हजारा नाम से भी प्रसिद्ध इस पुस्तक में एक हजार चौपदे हैं
  3. वेनिस का बाँका (1928), अंग्रेजी नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस का अनुवाद
  4. रसकलस (1931), मुक्तकों का संग्रह
  5. रस साहित्य और समीक्षायें (१९५६), आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह
  6. हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास

आज का पाठ

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शिवाजी की बढ़ती ई॰ मार्सडेन द्वारा रचित तथा लाला सीताराम द्वारा अनूदित पुस्तक भारतवर्ष का इतिहास का बयालिसवाँ अध्याय है जिसका प्रकाशन कलकत्ता के मैकमिलन एण्ड कम्पनी लिमिटेड द्वारा १९१९ ई॰ में किया गया था।

"शिवाजी शाहजहां की राजगद्दी की साल सन् १६२७ ई॰ में पैदा हुआ था। उसका बाप बीजापुर के दरबार में नौकर था। बाप नौकरी में था, शिवाजी पूने में पल रहा था। लिखना पढ़ना तो पण्डितों और ब्राह्मणों का काम समझा जाता था इस कारण शिवाजी को नहीं सिखाया गया; अलबत्ता शस्त्र विद्या की सब कलायें सिखाई गईं, जैसे घोड़े पर चढ़ना, तीर चलाना, कुश्ती लड़ना, बल्लम चलाना इत्यादि। उसको प्राचीन हिन्दू सूर बीरों के चरित याद थे। और उसकी अभिलाषा थी कि मैं भी उनकी भांति काम करके नाम और उन्नति प्राप्त करूं।..."(पूरा पढ़ें)

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