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  •  (1919)  द्वारा ई॰ मार्सडेन 121368भारतवर्ष का इतिहास1919ई॰ मार्सडेन [ ५८ ] १२—जैन। १—जिस समय बुद्ध जी जीते थे और अपने मत को फैला रहे थे उसी समय एक और क्षत्रियकुमार...
    ४९२ B (४१६ शब्द) - २०:५३, ४ अगस्त २०२०
  • अनुवादक विद्याभूषण पं॰ गोविन्दराय जैन, शास्त्री   卐   [महावीर जयन्ती, वीर सं॰ २४८०] [ प्रकाशक ]   प्रकाशक— पं॰ गोविन्दराय जैन, शास्त्री महरौनी (झाँसी) उ॰ प्र॰...
    ४३६ B (७६१ शब्द) - ०६:४९, ११ सितम्बर २०२१
  • ऋषभचरण जैन एवम् सन्तति [ मुख्यपृष्ठ ] बाबू बालमुकुन्द गुप्त कृत शिवशम्भु के चिट्ठे सम्पादक डॉ॰ विजयेन्द्र स्नातक [ प्रकाशक-पृष्ठ ]@ दिग्दर्शन चरण जैन नयी...
    ४३२ B (४११ शब्द) - २१:४९, २८ जुलाई २०२०
  • किसी जैन मुनि का हैं, चन्द्रगुप्त को राज छोड़ कर यति-धर्म ग्रहण करने का प्रमाण दिया जाता है। अनेको ने तो यहाँ तक कह डाला हैं कि उसका साथी चाणक्य भी जैन था।...
    ५२४ B (८१९ शब्द) - ०२:५०, ४ सितम्बर २०२१
  • रहे। १८७३ मे आप डाक्टर बूलर के साथ हिन्दुस्तान आये। यहीं आपका परिचय जैन-धर्म्म और जैन-साहित्य से हुआ। तभी से आपने इन विषयों का अध्ययन आरम्भ कर दिया और धीरे-धीरे...
    ३६० B (६१७ शब्द) - १५:५१, ३१ अक्टूबर २०२१
  • को अपना अपना बनाने के लिए परस्पर होड़ लगा रहे हैं। इन सबके बीच जैन कहते हैं कि "यह तो जैन ग्रन्थ है, सारा ग्रन्थ "अहिंसा परमो धर्म" की व्याख्या है और इसके...
    ३६३ B (४,९७६ शब्द) - १३:२३, १९ जुलाई २०२१
  • चार्वाक का जो मत है वह तथा बौद्ध और जैन का जो मत है वह भी १२ वें समुल्लास में संक्षेप से लिखा गया है और बौद्धों तथा जैनियों का भी चार्वाक के मत के साथ मेल...
    ६८६ B (२,१८२ शब्द) - ०३:२६, ४ अगस्त २०२३
  • अत्याचार करती हो जेनी ! जेनी-अपने उन्माद का प्रमाण देना चाहते हो? कावर्ड --हृदय से, जेनी ! मैं उस अवसर की ताक में बैठा हूँ। उसी दिन शाम को जेनी ने मनहर से कहा-...
    ३२७ B (६,८४३ शब्द) - २२:५४, २१ मई २०२१
  • ८—अयोध्या और जैनधर्म1932लाला सीताराम [ ११० ]  आठवाँ अध्याय। अयोध्या और जैन-धर्म। आदि पुराण जैन-धर्म का बड़ा प्रामाणिक ग्रन्थ है। इसमें लिखा है कि विश्व की कर्मभूमि...
    ५५१ B (१,२७२ शब्द) - ०४:५३, ११ जून २०२३
  • कि देवपति और खेव (क्षेव ) पति नाम के दो जैन-धर्मावलम्बी भाई थे। उन्होंने देवगढ़ का किला बनवाया और शहर बसाया। जैन मन्दिर भी, जो [ ७३ ] वहाँ पर इस समय भी...
    ४०८ B (२,३८१ शब्द) - १९:०४, १३ दिसम्बर २०२०
  • जहँ देखहु तहँ दुःखहि दुःख दिखाई। हा हा ! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥ लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी। करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी॥ तिन नासी बुधि बल विद्या...
    ५०३ B (२१९ शब्द) - ०३:४६, १९ मई २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 156084कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ८६ ]  परिच्छेदः ८६ उद्धतता औद्धत्येन परेषान्तु...
    ४९५ B (१२८ शब्द) - ०३:३८, १ सितम्बर २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155664कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ३५ ] परिच्छेदः ३५ त्याग: मन्ये ज्ञानी प्रतिज्ञाय...
    ४९१ B (१०९ शब्द) - ००:१२, २४ जुलाई २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 156098कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ९९ ]  परिच्छेदः ९९ योग्यता कार्यस्वरूपमालोच्य...
    ४१५ B (११४ शब्द) - १०:३१, १ सितम्बर २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155474कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ९ ] परिच्छेदः ९ अतिथिसत्कारः बहुकष्टसमाकीर्ण...
    ४०९ B (११७ शब्द) - १३:३०, १० जुलाई २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155480कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ १४ ] परिच्छेदः १४ सदाचारः सदाचारेण सर्वत्र प्रतिष्ठाधारको...
    ४३९ B (११८ शब्द) - १८:०३, १० जुलाई २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155477कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ११ ] परिच्छेदः ११ कृतज्ञता या दया क्रियते भव्यैराभारस्थापनं...
    ४४५ B (११३ शब्द) - १७:५४, १० जुलाई २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155998कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ५९ ]  परिच्छेदः ५९ गुप्तचर: नेत्रद्वयेन भूपालो...
    ४१३ B (११६ शब्द) - १२:१३, १८ अगस्त २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155472कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ ७ ] परिच्छेदः ७ संततिः यदि पुण्यात् कुले जन्म...
    ३७९ B (११६ शब्द) - १३:२३, १० जुलाई २०२१
  • कुरल-काव्य द्वारा तिरुवल्लुवर, अनुवादक पं० गोविन्दराय जैन 155467कुरल-काव्यपं० गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर [ २ ] परिच्छेदः २ मेघमहिमा यथासमयसंजाता वृष्टिर्यस्योपकारिणी।...
    ४७६ B (११२ शब्द) - १३:०४, १० जुलाई २०२१
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